☠️ जहरीला सिरप और सिस्टम की खोट: राजस्थान में मासूम की मौत का काला सच

एक मासूम की सांसों ने पूछा सवाल – क्या इंसानियत की कीमत सिर्फ कुछ चांदी के सिक्के हैं? राजस्थान के सीकर जिले के खोरी ब्राह्मणान गांव का पांच साल का नित्यांश शर्मा खेलना चाहता था, हंसना चाहता था। लेकिन सरकारी अस्पताल से मिली मुफ्त खांसी की सिरप उसके लिए 'जहर' बन गई। रात में सिरप पीने के कुछ घंटों बाद ही नित्यांश ने दम तोड़ दिया।
📝 इस लेख में आप जानेंगे:
- राजस्थान में जहरीले सिरप से हुई मासूम की मौत की पूरी कहानी
- भरतपुर, बांसवाड़ा और जयपुर में सामने आए इसी पैटर्न के मामले
- 'के. संस फार्मा' कंपनी का संदिग्ध इतिहास और काला सच
- सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम की खामियां और भ्रष्टाचार
- कैसे चांद पैसों के लालच में इंसानियत को बेचा जा रहा है
- अन्य राज्यों में ऐसे ही हादसे और एक राष्ट्रीय संकट का संकेत
- क्या कदम उठाने होंगे ताकि यह त्रासदी दोबारा न हो
🏥 वह शाम जो बनी आखिरी: नित्यांश की मौत का विस्तृत ब्योरा
नित्यांश को खांसी थी, और मां ने उसे झुंझुनूं जिले के चिराना स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई। डॉक्टर महेश कुमावत ने डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दी, जो मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत बांटी जा रही थी।
रविवार रात करीब 11:30 बजे सिरप दी गई, लेकिन रात 3:30 बजे उसकी हालत बिगड़ी। सुबह उसे सीकर एसके अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
⚠️ क्या यह अकेली घटना थी?
- भरतपुर: 4 साल के गगन की हालत बिगड़ी, डॉक्टर ताराचंद योगी ने खुद टेस्ट किया तो वे भी बीमार पड़ गए।
- बांसवाड़ा: 7 बच्चे इसी सिरप से बीमार हुए।
- जयपुर: 2 साल की बच्ची की हालत गंभीर हो गई।
🏭 कंपनी का काला इतिहास – 'के. संस फार्मा'
यह जहरीला सिरप के. संस फार्मा ने बनाया था। 5 अक्टूबर 2023 के सरकारी दस्तावेज़ों में इस कंपनी की दवाएं गुणवत्ता में फेल साबित हो चुकी थीं। इसके बावजूद इसे सरकारी ठेके मिलते रहे।
पहले भी इसका खांसी का एक सिरप प्रतिबंधित हो चुका था। घटनाओं के बाद कंपनी मालिक फैक्ट्री में ताला लगाकर भागने की कोशिश करता मिला।
⚖️ सिस्टम की खामियां जो बनीं मौत का कारण
- गुणवत्ता जांच की विफलता
- दोषपूर्ण खरीद प्रक्रिया और भ्रष्टाचार
- घटनाओं के बाद ही रोक और जांच
- अस्पतालों में निगरानी का अभाव
💰 चांद पैसों का खेल
डॉक्टर कमीशन के लिए मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दवा कंपनियां गुणवत्ता छोड़कर सिर्फ मुनाफा देख रही हैं। सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। यह इंसानियत के खिलाफ अपराध है।
🌍 अन्य राज्यों में भी खतरा
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में भी जहरीले सिरप से 6 बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में पाया गया कि सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल था, जिससे किडनी खराब हो गई। यह समस्या अब राष्ट्रीय संकट बन चुकी है।
🏢 सरकारी रवैया
सीकर के CMHO ने सिरप को मौत का कारण मानने से इंकार किया। स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर ने इसे “जांच का विषय” कहा। यह रवैया दिखाता है कि सिस्टम जिम्मेदारी से बच रहा है।
🔚 निष्कर्ष – यह चेतावनी है
नित्यांश की मौत कोई साधारण घटना नहीं, बल्कि चेतावनी है। यह चेतावनी है लालच, भ्रष्टाचार और कमजोर सिस्टम के खिलाफ।
मांगें:
- CBI या हाई-लेवल जांच
- दोषी कंपनी और डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई
- दवा खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता
- “चांद पैसे” के खिलाफ सख्त कानून
अगर आज हम आवाज़ नहीं उठाएंगे, तो कल नित्यांश की जगह कोई और मासूम होगा।
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