🪔 दिवाली के दिन ये 6 रिवाज बदल सकते हैं किस्मत

🌟 आर्टिकल
1. 🎇 दिवाली कब है और शुभ मुहूर्त (2025 में)
🪔दिवाली 2025 में मुख्य दिन 21 अक्टूबर, मंगलवार को है।
अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर की 15:45 बजे आरंभ होती है और 21 अक्टूबर की 17:55 बजे तक बनी रहेगी।
सबसे शुभ समय (प्रदोष काल) जो दीपक प्रज्ज्वलन और मुख्य पूजा के लिए उत्तम माना जाता है, वह शाम 5:52 बजे से 8:24 बजे तक का है।
(ध्यान दें: यह समय सभी स्थानों पर समान नहीं होगा — अपने स्थानीय पंचांग की पुष्टि अवश्य करें।)
ये शुभ मुहूर्त इसलिए निर्धारित किया जाता है क्योंकि इन समयों में ग्रहों की स्थिति अनुकूल मानी जाती है, और सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय मानी जाती है।
2. दिवाली क्यों मनाई जाती है — कारण और महत्व
2.1 पौराणिक / धार्मिक कारण
राम की अयोध्या वापसी: भगवान राम ने अपने 14 वर्ष वानप्रवास व रावण वध के बाद अयोध्या लौटने पर दीपों से स्वागत किया गया था — इसलिए दीपावली मनाई जाती है।
लक्ष्मी व धन देवी की पूजा: कहा जाता है कि इसी रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
नरकासुर वध: अनेक स्थानों में दिवाली से एक दिन पूर्व "नरक चतुर्दशी" मनाई जाती है, जिसमें राक्षस नरकासुर का वध हुआ था।
भिन्न-भिन्न क्षेत्रीय कथाएँ: गोवर्धन पूजा, यम पूजा, बांगिया दीप (बांग्ला क्षेत्र) आदि रीति रिवाज बाँधे गए हैं।
2.2 सामाजिक, मनोवैज्ञानिक और ऊर्जा दृष्टि
अंधकार पर प्रकाश की विजय: दिवाली यह संदेश देती है कि अज्ञान, दुख या नकारात्मक भावनाएँ प्रकाश और विद्या से दूर हो सकती हैं।
समाज-रिश्तों की मजबूती: इस दिन परिवार-वर्ग, मित्र और पड़ोसी मिलते हैं, उपहार बाँटते हैं, सामूहिक गतिविधियाँ होती हैं — जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।
मानसिक उत्साह व सकारात्मक ऊर्जा: त्योहार की तैयारी, सजावट, दीपों की रौशनी, संगीत, उल्लास — ये सब मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उत्साह और जीवन शक्ति को बढ़ाते हैं।
नव आरंभ का अवसर: दिवाली नए साल जैसा प्रतीक है — लोगों को पुरानी गलतियों से हटने और नए संकल्प लेने का अवसर मिलता है।
3. 6 रिवाज जो दिवाली के दिन आपकी किस्मत बदल सकते हैं
नीचे दिए गए प्रत्येक रिवाज का अर्थ, कैसे करना है, और वह कैसे आपके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं — वैज्ञानिक व आयुर्वेदिक दृष्टि से:
3.1 🏡घर की सफाई और ऊर्जा शुद्धि 🧹✨
रिवाज: दिवाली से पहले और दिन में घर की सफाई करना — झाड़ू लगाना, धूल मिटाना, दरवाज़े-खिड़कियाँ खोलना, गंगाजल छिड़कना आदि।
वैज्ञानिक दृष्टि:
घर की सफाई से indoor pollutants, धूल-कीटाणु आदि घटते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता बेहतर होती है।
एक स्वच्छ वातावरण मन को शांति देता है, जिससे तनाव और बेचैनी कम होती है।
जब किसी काम को पूरा करते हैं (जैसे सफाई करना), मस्तिष्क में dopamine रिलीज हो सकता है, जो हमें संतुष्टि देता है।
आयुर्वेद दृष्टि:
“शुद्धे देहे न वसति व्याधिः” — जहाँ शुद्धि होती है, वहाँ रोग नहीं पनपते।
प्राकृतिक शुद्धिकरण जैसे कपूर, तुलसी पत्ते, गंगाजल आदि का उपयोग वात व पित्त दोषों को संतुलित करने में सहायक है।
कैसे करें:
सुबह-सुबह सफाई करें।
घर के कोने, दीवार किनारे, अलमारियों के पीछे भी धूल हटाएँ।
गंगाजल या हल्का जलीय मिश्रण (जल + हल्दी) छिड़काव करें।
खिड़कियाँ खोल कर वेंटिलेशन सुनिश्चित करें।
3.2 🪔दीपक जलाना और प्रकाश देना
रिवाज: घर और बाहर दीपक (मिट्टी / धातु / ग्लास) जलाना, घर के कोने-कोने में रौशनी करना।
वैज्ञानिक दृष्टि:
दीपक की लौ हल्की प्रकाश तरंगें उत्सर्जित करती है, जो pineal gland को प्रभावित कर सकती है और melatonin हार्मोन को संतुलित कर सकती है।
प्रकाश की उपस्थिति हमारी आंख तथा मस्तिष्क को सचेत रखती है — अंधेरे में दूसरी तरह का तनाव हो सकता है।
दीपक की लौ वायु में कुछ negative ions उत्पन्न कर सकती है, जो मन को प्रसन्नता देती है।
आयुर्वेद दृष्टि:
दीपक का जला हुआ घी अग्नि तत्व को जागृत करता है — यह “digestive fire” (पाचन अग्नि) का प्रतीक भी माना जाता है।
यह वात दोष को शांत करता है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाता है।
कैसे करें:
पूजा स्थल और घर के प्रवेश द्वार पर दीपक रखें।
दीपक को तुलसी पत्ते, हल्दी या थोड़ी सामग्री (सुगंध) के साथ सजाएँ।
दीपक को ध्यान और सकारात्मक विचारों के साथ देखें।
3.3 💰लक्ष्मी-पूजा और आभार🙏
रिवाज: देवी लक्ष्मी, गणेश एवं कुबेर की पूजा करना, दीप, पुष्प, फल और मिठाई अर्पण करना, मंत्र जपना।
वैज्ञानिक दृष्टि:
“Gratitude practice” (आभार व्यक्त करना) से serotonin और dopamine हार्मोन स्तर बढ़ते हैं — जिससे मन प्रसन्न व शांत हो जाता है।
मंत्र और पाठ के दौरान मस्तिष्क की तरंगें (α, θ) संतुलन में आती हैं — यह मानसिक संतुलन और तनाव मुक्ति में सहायक है।
आयुर्वेद दृष्टि:
पूजा में उपयोग की गई सुगंधित धूप, फूल और तत्त्व सात्विकता को बढ़ाते हैं।
मंत्रों की कंपन्न लंबी अवधि में मन के राजस (उत्तेजना) और तमस (आलस्य) गुणों को दूर करने में सहायक हैं।
कैसे करें:
स्वच्छ स्थान और स्वच्छ वस्त्र पहन कर पूजा करें।
दीप, धूप, पुष्प, नैवेद्य अर्पण करें।
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नमः” आदि मंत्र जपें।
अंत में अपने जीवन के लिए “आभार भाव” व्यक्त करें।
3.4 🔥हवन, धूप, पर्यावरण और मन की शुद्धि 🌿
रिवाज: पूजा के बाद या पूर्व हवन करना / धूप जलाना — गुग्गुल, कपूर, चंदन आदि जड़ी-बूटियाँ अग्नि में अर्पित करना।
वैज्ञानिक दृष्टि:
शोध बताते हैं कि हवन के धुएँ में मौजूद रासायनिक तत्व antibacterial, antifungal होते हैं, जो वायु में रोगजनकों को कम कर सकते हैं।
कमरे के माइक्रोबियल लोड (जीवाणु / फफूंदी) हवन से घटता पाया गया है।
सुगंधित धूप हमारे घ्राण तंत्र को सक्रिय करती है, जिससे तनाव-रिलेक्सेशन प्रतिक्रिया होती है।
आयुर्वेद दृष्टि:
हवन व धूप शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित करते हैं।
यह प्राकृतिक रूप से वायु को शुद्ध करता है और श्वसन प्रणाली को लाभ पहुंचाता है।
कैसे करें:
एक स्वच्छ हवन स्थल चुनें।
घी, गुग्गुल, कपूर, चंदन आदि सामग्रियाँ रखें।
मंत्रों के साथ आहुति दें।
ध्यान रखें कि धुआँ घर से बाहर निकल सके।
3.5🍨 मिठाइयाँ / साझा भोज और सामाजिक संबंध
रिवाज: मिठाई बनाना/बाँटना, परिवार और मित्रों के साथ साझा भोजन, उपहार देना।
वैज्ञानिक दृष्टि:
साझा भोजन और सामाजिक सहभागिता से oxytocin (बंधुता हार्मोन) बढ़ता है — यह मानसिक संतुलन व खुशी की भावना को बढ़ाता है।
मीठा भोजन serotonin रिलीज में मदद कर सकता है, जिससे मूड बेहतर होता है।
सामाजिक मिलन-समारोह तनाव कम करते हैं और positive mental state को बढ़ावा देते हैं।
आयुर्वेद दृष्टि:
शुद्ध, सात्विक मिठाइयाँ (जैसे गुड़, तिल, घी आधारित) पाचन व संतुलन में सहायक होती हैं।
अत्यधिक तली और अधिक मीठी चीज़ें पित्त दोष बढ़ा सकती हैं — इसलिए संयम आवश्यक है।
कैसे करें:
ताजे और संतुलित सामग्री से मिठाइयाँ बनायें।
परिवार और मित्रों को बाँटें और आभार व्यक्त करें।
भोजन को सरल, पौष्टिक और सात्विक रखें
3.6🧘♀️रात्रि ध्यान / मौन / आत्म-चिंतन
रिवाज: दिवाली की रात में कुछ समय ध्यान, मौन या आत्म-चिंतन करना।
वैज्ञानिक दृष्टि:
रात के समय, जब वातावरण शांत हो, ध्यान करने से cortisol (तनाव हार्मोन) कम होता है और मस्तिष्क की तरंगों (θ, α) अधिक coherent होती हैं।
ब्रेन स्कैन अध्ययनों ने दिखाया है कि रात में की गई ध्यान क्रियाएँ मानसिक स्थिरता को बढ़ाती हैं।
आयुर्वेद दृष्टि:
रात का समय तामस गुण का है — ध्यान और मौन से मन शांत होता है।
दीपक या तेल की लौ सामने रखें, ध्यान केंद्रित करें और ऊर्जा केंद्रों (chakras) को संतुलित करें।
कैसे करें:
पूजा के बाद शांत कमरे में जघन्य समय चुनें।
10-15 मिनट दीपक की लौ देखें और मौन ध्यान करें।
अपने विचारों, भावनाओं और अगले वर्ष की योजनाओं पर विचार करें।
संकल्प लें (संजीवनी / positive intention)।
4.🙏पूजा विधि (Step-by-Step) + पालन सुझाव
नीचे सरल चरणबद्ध विधि और सुझाव दिए हैं:
स्थान चयन व शुद्धि — मंदिर या पूजा स्थल साफ करें, गंगाजल छिड़कें।
दीप प्रज्ज्वलन — घी / तेल से दीपक जलाएं, मुख्य स्थान पर रखें।
मूर्तियाँ / चित्र स्थापित करना — गणेश, लक्ष्मी, कुबेर की स्थापना करें।
मंत्रोच्चार / पूजा — उपयुक्त मंत्र जपें, दीप, पुष्प, धूप, जल अर्पण करें।
हवन / धूप — हवन कुंड में जड़ी-बूटियाँ व घी से आहुति दें।
नैवेद्य / भोग अर्पण — हल्का, सात्विक भोजन, फल, मिठाई अर्पण करें।
ध्यान / आभार / संकल्प — पूजा के बाद मौन या ध्यान करें, आभार व्यक्त करें।
साझा आनंद — पूजा के बाद परिवार / मित्रों के साथ मिलकर भोजन व आनंद बाँटें।
पालन सुझाव:
समय का ध्यान रखें — शुभ मुहूर्त, प्रदोष काल आदि।
सामग्री शुद्ध रखें — घी, Kapoor, जड़ी-बूटियाँ।
घर की वेंटिलेशन सही रखें — धुएँ और हवा बाहर निकल सके।
स्वास्थ्य समस्या वाले लोग (दमा, एलर्जी) धुएँ से सावधान रहें।
भावना और मन की शुद्धता ज़रूरी है — सिर्फ कर्म न करें, श्रद्धा और भावना से करें।
5. 💬 Frequently Asked Questions (FAQs) ❓
🪔 1️⃣ दिवाली पर दीपक जलाने का सही समय क्या है?
प्रदोष काल (शाम 5:52 से 8:24) सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि इस समय प्रकृति में ऊर्जा का संतुलन रहता है।
🌿 2️⃣ कौन सा तेल या घी सबसे शुभ होता है?
देसी घी का दीप सात्त्विक होता है — मानसिक शांति देता है। सरसों तेल का दीप दरिद्रता दूर करता है।
💰 3️⃣ लक्ष्मी पूजन में क्या भूल नहीं करनी चाहिए?
जूते पहनकर पूजा न करें, काले वस्त्र न पहनें और बिना संकल्प के पूजा शुरू न करें।
🧘♀️ 4️⃣ क्या ध्यान या मौन साधना का वैज्ञानिक लाभ है?
हाँ, इससे cortisol घटता है, serotonin बढ़ता है, जिससे तनाव दूर और नींद बेहतर होती है।
🍬 5️⃣ कौन-सी मिठाइयाँ सेहत के लिए बेहतर हैं?
गुड़, नारियल, और तिल आधारित मिठाइयाँ सबसे सेहतमंद हैं — ये पाचन में सहायक हैं।
🧹 6️⃣ दिवाली की सफाई कब से शुरू करनी चाहिए?
धनतेरस से 5–7 दिन पहले, ताकि वातावरण और मन दोनों साफ़ व ऊर्जा से भर जाएँ।
🌈6. निष्कर्ष
दिवाली 2025 (21 अक्टूबर) — यह त्योहार सिर्फ दीप जलाने का नहीं, बल्कि जीवन में प्रकाश, ऊर्जा और सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर है।
जब हम ये 6 रिवाज (घर की सफाई, दीपक, पूजा-आभार, हवन, साझा आनंद व रात्रि ध्यान) श्रद्धा और समझ के साथ करें, तो वे न केवल हमारे मन, शरीर और वातावरण को संतुलित करते हैं, बल्कि किस्मत में भी सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
इस दिवाली, केवल बाहर का अंधकार नहीं मिटाएँ — अपने भीतर की उजास को जगाएँ।
हर दीपक — एक नवसंकेत है, हर मंत्र — एक नई आशा, और हर पूजा — एक नयी शुरुआत।
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