🌞छठ पूजा का दूसरा दिन: खरना का महत्व, पूजा विधि और स्वास्थ्य लाभ
😍 BMI कैलकुलेटर से अपना बॉडी मास इंडेक्स जानें - Click Here 👈छठ पर्व चार दिनों का अत्यंत पवित्र अनुष्ठान है, जिसमें दूसरे दिन का खरना विशेष महत्व रखता है। इसे ‘लोहंडा’ भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मैया के प्रति पूर्ण समर्पण, तपस्या और शुचिता का भाव चरम पर रहता है।
✨ खरना का दिन
इस दिन व्रती (महिला/पुरुष) दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। अर्थात न अन्न, न जल कुछ भी नही लेना होता है। इस दिन पूरी दिनचर्या में —
✅ घर की संपूर्ण सफाई
✅ पवित्रता बनाए रखना
✅ व्रती का शरीर और मन पूर्ण संयम में रहना
इनका सख़्ती से पालन किया जाता है।
यह आत्म-अनुशासन और मानसिक दृढ़ता की परीक्षा है।
जैसे ही सूर्य देव अस्त होते हैं, व्रती पवित्र घाट या घर के पूजा-स्थल पर जाकर शुद्ध आसन पर बैठती हैं।
अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाता है, फिर खरना का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला उपवास का दूसरा चरण शुरू होता है, जो अगले दिन उषा अर्घ्य तक चलता है।
🍃 इस दिन बनने वाले प्रसाद का महत्व और हैल्थ बेनिफिट।
खरना के प्रसाद को घर में शुद्ध और बिना किसी मिलावट के बनाया जाता है। इस में इस्तमाल होने वाले सभी सामग्री की साफ सफाई और पवित्रता का खास खयाल रखा जाता है।
प्रसाद में उपयोग होने वाले सामग्री, महत्व और हैल्थ बेनिफिट है —
सामग्री | आध्यात्मिक महत्व | आयुर्वेदिक स्वास्थ्य लाभ |
|---|---|---|
चावल,दूध और गुड़ की खीर | पवित्रता, संतोष और समृद्धि का प्रतीक | इसे ऊर्जा में तुरंत वृद्धि होता है, पाचन में हल्की होती है। |
घी लगी रोटी | श्रम, तपस्या और अन्न की कद्र | देसी घी से पाचन शक्ति और शरीर को गर्माहट बनी रहती है। |
केला | संतान-वृद्धि और उर्वरता का प्रतीक | ये पोटैशियम, फाइबर — शक्ति और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखता है। |
मूली | धरती-ऊर्जा और शुद्धता | यह लिवर और पाचन की सफाई करता है और सूजन कम होता है। |
तुलसी पत्र | दिव्यता, रोग-नाशक और रक्षा | यह एंटी-सेप्टिक, श्वसन और प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करने वाला है। |
इन सभी चीज़ों को सात्विक, पवित्र, और प्राकृतिक माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार — भारी भोजन ना लेकर ऐसी स्निग्ध-ऊर्जा से भरपूर चीज़ें व्रत के बाद शरीर को स्वस्थ रखती हैं।
🌞 सूर्य-उपासना: प्रकृति के प्रति कृतज्ञता
छठ ही एकमात्र पर्व है जिसमें अस्ताचल सूर्य और उदित सूर्य दोनों की पूजा होती है।
ऋग्वेद में सूर्य को जीवन, तेज और आरोग्य का कारक कहा गया है। विटामिन-D, हड्डियों की मजबूती, मानसिक शांति — सूर्य-संपर्क से सीधे जुड़े लाभ हैं।
जब व्रती नदी के शीतल जल में खड़ी होकर अर्घ्य देती है,
तो शरीर और मन ऊर्जा-संतुलन व शुद्धता महसूस
🕉 धार्मिक मान्यता
छठी मैया (देवी उषा/कात्यायनी) संतान, परिवार-सुख, कृषि-समृद्धि और रोगों से रक्षा का वरदान देती हैं।
खरना का व्रत माना जाता है —
✅ मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए।
✅ गृह-कलह निवारण के लिए।
✅ संतान सुख व सुरक्षा के लिए।
✅ परिवार की प्रगति के लिए।
🫂 सामाजिक-भावनात्मक महत्व
परिवार के सभी सदस्य व्रती के लिए प्रसाद तैयार करने और सहयोग में लग जाते हैं
समुदाय घाट पर एकजुट होता है
प्रेम, सहयोग, अनुशासन और एकता की मिसाल बनता है यह पर्व
खरना संपूर्ण समाज में यह संदेश देता है कि सुख-दुख साझा हो तो जीवन आसान और मजबूत बनता है।
⚕️ स्वास्थ्य और वैज्ञानिक पहलू
निर्जला व्रत शरीर को एक प्राकृतिक डिटॉक्स करने का अवसर देता है
सूर्य प्रकाश से मेटाबॉलिज़्म और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है
प्रसाद का शुद्ध-सात्विक सेवन शरीर को संतुलित पोषण देता है
नदी या जल-संपर्क तनाव और चिंता कम करता है (यह एक प्राकृतिक थेरेपी है)
🔔 सावधानियाँ
यदि स्वास्थ्य समस्या होग जैसे र्भवती महिलाएँ ,मधुमेह, हृदय या किडनी रोगी तो इनको चिकित्सकीय सलाह पर व्रत करना चाहिए। धार्मिक भावना महत्वपूर्ण है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य सर्वोपरि है।
✅ निष्कर्ष
खरना केवल उपवास नहीं है। यह तप, अनुशासन, शारीरिक शुचिता, मानसिक मजबूती और प्रकृति-समर्पण का त्योहार है।
छठ पर्व का यह दूसरा चरण हमें सिखाता है —
“जहाँ श्रद्धा हो, वहाँ शक्ति है
जहाँ संकल्प हो, वहाँ सिद्धि है”
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