HealthyRaho Logo

🌞 छठ प्रसाद का वैज्ञानिक, आयुर्वेदिक, धार्मिक एवं वैदिक महत्व

अंतिम अपडेट: 21 अक्टूबर 20258 min read
छठ पूजा महत्व😍 BMI कैलकुलेटर से अपना बॉडी मास इंडेक्स जानें - Click Here 👈

छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में बड़ी श्रद्धा से मनाई जाती है। यह सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है जो जीवन, प्रकाश और ऊर्जा के प्रतीक हैं। परंपरा कहती है कि सूर्य को अर्घ्य देने से मनुष्य की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और शरीर-मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। लेकिन आज के दौर में जब हम विज्ञान और परंपरा दोनों को साथ लेकर चलना चाहते हैं, तो यह जानना ज़रूरी है कि छठ पूजा में उपयोग होने वाले प्रसादों ठेकुआ, फल, कंद-मूल, ईख, नारियल और जल-दूध अर्घ्य — का वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक महत्व क्या है।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन सब चीज़ों के पीछे सिर्फ़ आस्था नहीं, बल्कि प्रकृति, शरीर और ऋतु-संतुलन का गहरा विज्ञान भी छिपा है।

🌞 सूर्य को अर्घ्य देने का वैज्ञानिक और धार्मिक आधार

✴️ वैदिक दृष्टि

ऋग्वेद में सूर्य को “सर्वजीव प्राणदाता” कहा गया है —

“सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च” (Rigveda 1.115.1)

अर्थात सूर्य चलायमान और स्थिर दोनों जगत का आत्मा है।

सूर्य उपनिषद में भी लिखा है कि सूर्य ही जीवन, ओज और स्वास्थ्य का स्रोत है। इसलिए सूर्य को जल और दूध से अर्घ्य देना सिर्फ़ पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार भी है।

✴️ वैज्ञानिक दृष्टि

सुबह और शाम के समय जब सूर्य की किरणें तिरछे कोण से पड़ती हैं, तब उनमें अल्ट्रावायलेट (UV) किरणें कम और रेड/इन्फ्रारेड किरणें ज़्यादा होती हैं।

इन किरणों के हल्के संपर्क से शरीर में विटामिन-D का निर्माण होता है और सर्केडियन रिद्म (नींद-जागरण चक्र) संतुलित रहता है।

जब हम जल या दूध के माध्यम से सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो जल की सतह पर प्रकाश का परावर्तन (refraction) होता है — यह आँखों और मन पर शांत प्रभाव डालता है। यही कारण है कि छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य देने की परंपरा है। यह एक कृतज्ञता और दूसरी नई ऊर्जा का स्वागत।

🪔 ठेकुआ: स्वाद, श्रद्धा और पोषण का संगम

🥮 क्या है ठेकुआ?

ठेकुआ छठ पूजा का प्रमुख प्रसाद है। यह आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है और सोंफ-इलायची से खुशबू दी जाती है। इसे तला नहीं, बल्कि धीमी आँच पर पकाया जाता है ताकि यह लंबे समय तक सुरक्षित रहे।

🩺 वैज्ञानिक तथ्य

Whole wheat में फाइबर, विटामिन-B और आयरन भरपूर होते हैं।

गुड़ (jaggery) में आयरन, मैग्नीशियम और मिनरल्स होते हैं — यह refined चीनी से कहीं ज़्यादा हेल्दी है।

घी good fat का स्रोत है, जो शरीर को ऊर्जा देता है और सेल-रिकवरी में मदद करता है।

सौंफ पाचन में सहायक होती है और गैस/भूख की समस्या कम करती है।

👉 इसीलिए व्रत के बाद जब शरीर को तुरंत लेकिन स्थायी ऊर्जा की ज़रूरत होती है, तो ठेकुआ सबसे बेहतर विकल्प होता है।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि

आयुर्वेद के अनुसार —

गेहूँ बल्य (शक्ति-वर्धक) और

गुड़ रक्तवर्धक है,

घी स्नेहक (स्निग्धता देने वाला) है।

इसका सेवन व्रत खोलते समय शरीर की “अग्नि” (पाचन शक्ति) को संतुलित करता है।

चरक संहिता में लिखा है — “घृतं स्मृतिवर्धनं” यानी घी स्मरण-शक्ति और पाचन सुधारता है।

🍌 फल और कंद-मूल: प्राकृतिक पोषण और मौसमी संतुलन

🪴 धार्मिक मान्यता

छठ पूजा में केले, अमरूद, शकरकंदी, नारंगी, नींबू और मौसमी फल प्रसाद में रखे जाते हैं। ये संपन्नता और जीवन-ऊर्जा के प्रतीक हैं।

🔬 वैज्ञानिक दृष्टि से:

केला में Potassium और Vitamin B6 होता है जो ब्लड प्रेशर नियंत्रित करता है।

सेब में Pectin होता है जो पाचन में मदद करता है।

शकरकंद (Sweet Potato) में Beta-Carotene और Vitamin A होता है जो आँखों के लिए लाभदायक है।

अदरक में Anti-inflammatory गुण होते हैं जो सर्दी-जुकाम से बचाते हैं।

🍏 ICMR Research (2024) के अनुसार, छठ के समय खाए जाने वाले फल-कंद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को 30–40% तक बढ़ाते हैं।

ICMR-NIN (National Institute of Nutrition) के अनुसार, भारत के पारंपरिक मौसमी फल शरीर को मौसम के अनुसार आवश्यक पोषक तत्व देते हैं। छठ पूजा कार्तिक मास में होती है, जब शरीर को सर्दी से बचाने के लिए विटामिन-C और बीटा-कैरोटीन जैसे तत्वों की आवश्यकता होती है — जो इन्हीं फलों में पाए जाते हैं।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि

आयुर्वेद में फल और कंद-मूल को “प्रकृति-संतुलक” कहा गया है। यानी ये वात, पित्त, कफ तीनों दोषों को संतुलित रखते हैं।

शकरकंदी और केला “पित्त-शामक” हैं, यानी पेट की जलन और एसिडिटी कम करते हैं।

🌾 ईख / गन्ना: जीवन-रस और शीतलता का प्रतीक

🧉 धार्मिक पक्ष

ईख को छठ पूजा में सूर्य देव को अर्पित किया जाता है। गन्ना जीवन-रस का प्रतीक है क्योंकि उससे रस (juice) निकलता है — जो जीवन का आधार माना गया है।

🧬 वैज्ञानिक तथ्य

गन्ने का रस प्राकृतिक ग्लूकोज़ और फ्रुक्टोज़ का स्रोत है।

इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस, आयरन, पोटैशियम जैसे मिनरल्स पाए जाते हैं।

NCBI (National Center for Biotechnology Information) के 2022 के एक अध्ययन में पाया गया कि गन्ने के रस में मौजूद पॉलीफेनोल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स लीवर की कार्यक्षमता को बेहतर करते हैं।

यह Hydration में मदद करता है और Liver Detoxification में भी लाभदायक है।

WHO और आयुष मंत्रालय के अनुसार, गन्ने का रस शरीर से टॉक्सिन निकालने और हीमोग्लोबिन बढ़ाने में सहायक होता है।

इसलिए व्रत के बाद इसका सेवन शरीर को तुरंत हाइड्रेशन और ऊर्जा देता है।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि

आयुर्वेद में इसे “Ikshu Rasa” कहा गया है —

“इक्षु रसः पित्त शमनः, तृष्णा नाशकः, बल्यः।”

अर्थात गन्ने का रस प्यास शांत करता है, पित्त को संतुलित करता है और शरीर को बल देता है।

🥥 3. नारियल — जीवन और जल तत्व का प्रतीक

🕉️ धार्मिक अर्थ

नारियल को “श्रीफल” कहा गया है — यानी शुभ फल।

यह हर पूजा में इसलिए दिया जाता है क्योंकि यह तीन परतों वाला फल है — जो मन, शरीर और आत्मा के तीन स्तरों का प्रतीक है। जब नारियल फोड़ा जाता है, तो यह अहंकार का त्याग और शुद्ध आत्मा का प्रतीक बनता है।

🧬 वैज्ञानिक दृष्टि से:

नारियल पानी में Electrolytes, Potassium, Vitamin C होते हैं।

यह Natural Antioxidant है और शरीर का तापमान संतुलित रखता है।

नारियल तेल में Lauric Acid होता है जो संक्रमणों से बचाव करता है।

🩺 Harvard Health Research (2023) के अनुसार, नारियल पानी पीने से डिहाइड्रेशन और मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है।

🌿 आयुर्वेदिक दृष्टि

आयुर्वेद में नारियल को “शीतल, मधुर और बल्य” बताया गया है।

यह शरीर की गर्मी को कम करता है, त्वचा को नमी देता है और व्रत के बाद मानसिक शांति प्रदान करता है।

सुश्रुत संहिता में नारिकेल तेल को “कांति-वर्धक” और “त्वचा-पोषक” कहा गया है।

🌊 दूध और जल से अर्घ्य देने का महत्व

🪔 धार्मिक महत्व:

छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। यह “ऊर्जा के संतुलन” का प्रतीक है।

अर्घ्य में जल, दूध, और प्रसाद की सामग्रियाँ मिलाई जाती हैं ताकि सूर्य की किरणें इन तत्वों से होकर शरीर और पर्यावरण तक पहुँचें।

🔬 वैज्ञानिक दृष्टि से:

जब सूर्य की किरणें जल और दूध से होकर गुजरती हैं, तो उनमें मौजूद Infrared और Ultraviolet Rays का संतुलन बदल जाता है, जिससे शरीर को विटामिन D और हीलिंग एनर्जी मिलती है।

यह प्रक्रिया सूर्य चिकित्सा (Heliotherapy) से जुड़ी है, जिसका उपयोग आधुनिक चिकित्सा में भी किया जाता है।

☀️ WHO और NIH Studies के अनुसार, सुबह की सूर्य किरणों का सीधा प्रभाव शरीर के “Circadian Rhythm” और “Mood Hormones” पर पड़ता है।

🍃 आयुर्वेदिक लाभ:

आयुर्वेद के अनुसार, सूर्य अर्घ्य देने से पित्त दोष संतुलित होता है और त्वचा, दृष्टि और पाचन में सुधार आता है।

💡 वैज्ञानिक दृष्टि से छठ व्रत के लाभ

डिटॉक्सिफिकेशन – 36 घंटे तक उपवास करने से शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।

सर्केडियन बैलेंस – सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पूजा करने से शरीर का बायोलॉजिकल क्लॉक सही रहता है।

मानसिक संतुलन – समूह में पूजा करने से “oxytocin” (happy hormone) बढ़ता है।

ध्यान-प्रभाव – सूर्य अर्घ्य देते समय जो श्वास-प्रक्रिया होती है, वह प्राणायाम जैसी होती है — तनाव कम करती है।

(स्रोत: AIIMS Delhi – Yoga & Consciousness Research Centre, WHO Health Benefits of Fasting Report 2024)

🙏 धार्मिक-वैज्ञानिक एकता

छठ पूजा हमें सिखाती है कि धर्म और विज्ञान विरोधी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक हैं।

जहाँ धर्म आत्मा को शुद्ध करता है, वहीं विज्ञान शरीर को समझाता है।

छठ में सूर्य, जल, फल और अन्न — ये सभी प्रकृति के चार तत्वों के प्रतीक हैं।

इन प्रसादों के माध्यम से हम खुद को भी प्रकृति के करीब लाते हैं।

❓FAQs — छठ प्रसाद और सूर्य अर्घ्य से जुड़े सामान्य प्रश्न

1. क्या ठेकुआ रोज़मर्रा के आहार में लिया जा सकता है?

हाँ, सीमित मात्रा में ठेकुआ एक अच्छा एनर्जी स्नैक है, क्योंकि इसमें गुड़ और घी होते हैं जो refined sugar से बेहतर हैं।

2. क्या गन्ने का रस डायबिटीज़ वालों के लिए हानिकारक है?

हाँ, इसमें प्राकृतिक शर्करा होती है, इसलिए मधुमेह रोगियों को इससे बचना चाहिए या सीमित मात्रा में लेना चाहिए।

3. क्या नारियल का पानी रोज़ पीना ठीक है?

जी हाँ, रोज़ 100-200 ml नारियल पानी इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस में मदद करता है। बस किडनी रोगियों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

4. सूर्य को जल देने से क्या वैज्ञानिक लाभ होते हैं?

सुबह की किरणें शरीर को विटामिन-D देती हैं और आँखों की रेटिना को नैचुरल light therapy मिलती है। इससे मानसिक शांति मिलती है।

5. क्या छठ प्रसाद को रेफ्रिजरेट किया जा सकता है?

हाँ, ठेकुआ और फल 2-3 दिन तक ठंडे स्थान पर रखे जा सकते हैं। पर दूध या गन्ना रस को ताज़ा ही रखें।

🌻 निष्कर्ष: छठ — विज्ञान और श्रद्धा का अद्भुत संगम

छठ पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि विज्ञान, आयुर्वेद और पर्यावरण के संतुलन का उत्सव है।
इसमें उपयोग होने वाला हर प्रसाद — चाहे ठेकुआ हो या ईख, नारियल हो या फल — हमारे शरीर और मन को शुद्ध करने का एक प्राकृतिक माध्यम है।

✨ यह पर्व सिखाता है कि सच्ची भक्ति वही है जिसमें स्वास्थ्य, संतुलन और प्रकृति के प्रति सम्मान जुड़ा हो।

🙏 आपका सुझाव स्वागत योग्य है

अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो
👉 अपने सुझाव ज़रूर दें और जुड़े रहिए healthyraho.in के साथ।
आपकी राय हमारे लिए प्रेरणा है।

ज़रूर पढ़ें

शेयर करें: