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🌼 नवरात्रि पाँचवां दिन – माँ स्कंदमाता की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ

24 सितंबर 20255 min read
नवरात्रि पांचवा दिन – माँ स्कंदमाता की पूजा

क्या आपने कभी महसूस किया है कि माँ के प्रेम में कितनी ताकत होती है? नवरात्रि का पाँचवां दिन हमें यही सिखाता है। इस दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होती है — वह माता जो भगवान शिव-पर्वती की पुत्री और देव सेनापति कार्तिकेय (स्कंद) की मां हैं। माँ स्कंदमाता अपनी कोमल ममता और दयालुता से भक्तों को शक्ति प्रदान करती हैं और जीवन की बाधाओं को पार करने की प्रेरणा देती हैं। उनका स्वरूप हमें यह याद दिलाता है कि मातृत्व की कोमलता में भी अपार शक्ति निहित होती है।

📝 इस लेख में आप जानेंगे:

  • माँ स्कंदमाता का अर्थ, नाम और प्रतीकात्मक महत्व।
  • उनकी पौराणिक कथा और गूढ़ संदेश।
  • सरल पूजा विधि, सामग्री, मंत्र और आरती।
  • भोग और व्रत सुझाव — पारंपरिक और स्वस्थ विकल्प।
  • स्कंदमाता की आराधना से मिलने वाले लाभ।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत के फायदे और सावधानियाँ।
  • FAQs — पांचवे दिन से जुड़े सामान्य प्रश्न।

माँ स्कंदमाता कौन हैं?

स्कंदमाता का नाम उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय (स्कंद) और 'माता' शब्द से बना है, जिसका अर्थ है 'स्कंद की माता'। यह मां दुर्गा का पाँचवा स्वरूप हैं और मातृत्व की देवी के रूप में जानी जाती हैं। माँ स्कंदमाता के चार भुजाएँ हैं: दोनों ऊपरी हाथ कमल के फूल लिए हुए हैं, एक हाथ में वे अपने पुत्र कार्तिकेय को गोद में उठाये हुए हैं, और एक हाथ भक्तों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में है। माता सिंहासन पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें 'सिंहासनगता देवी' कहा जाता है। वे पीले या सफेद वस्त्र धारण करती हैं, शांत और दिव्य स्वरूप धारण करती हैं। उनकी महिमा अकल्पनीय है।

पौराणिक कथा (संक्षेप)

कथाओं के अनुसार, दैत्य तारकासुर ने ब्रह्माजी से वरदान लिया था कि उसे केवल शिव-पार्वती की संतान ही मार सकती है। इसका ज्ञान पाते ही तारकासुर ने ब्रह्मांड में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। तब देवताओं ने माता पार्वती की कठिन तपस्या करवाई और उनकी कृपा से भगवान कार्तिकेय (स्कंद) का जन्म हुआ। कार्तिकेय युद्ध-कला में निपुण होकर तारकासुर का वध कर ब्रह्मांड को असुरों के अत्याचार से मुक्त किया। इस विजय के बाद देवी पार्वती को 'स्कंदमाता' के नाम से जाना गया। यह कथा सिखाती है कि माँ की ममता और कृपा से जीवन की सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।

नवरात्रि पाँचवा दिन — शुभ रंग

नवरात्रि के पाँचवें दिन का शुभ रंग पीला और सफेद है — ये रंग ऊर्जा, पवित्रता और सकारात्मकता का प्रतीक हैं। यदि संभव हो तो इस दिन पीले या सफेद वस्त्र पहनें, पीले फूल चढ़ाएँ, और पूजा स्थल को पीले व सफेद फूलों से सजाएँ।

माँ स्कंदमाता की पूजा विधि

सुबह की तैयारी: स्नान के बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करें और पीला या सफेद कपड़ा बिछाएँ।

  • माँ स्कंदमाता की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
  • घी का दीप जलाएँ और धूप/अगरबत्ती लगाएँ।
  • पीले/सफेद फूल, हल्दी-कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
  • भोग में केले के व्यंजन (जैसे केला हलवा), गुड़, दूध, मिश्री और फल अर्पित करें।
  • नीचे दिए गए मंत्र का जप करें और अंत में आरती करें।

🔑 प्रमुख मंत्र

ॐ देवी स्कंदमातायै नमः

इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना शुभ माना जाता है, परंतु समयाभाव में कम बार भी जपा जा सकता है।

भोग और व्रत परंपरा

इस दिन विशेष रूप से केला का भोग लगाया जाता है — केले के पकवान (जैसे केला हलवा) अर्पित करें। इसके अलावा खीर, गुड़-मिश्री के लड्डू, दूध और फलाहार में साबूदाना व कुट्टू के पकवान अच्छे विकल्प हैं। यदि डायबिटीज़ या कोई स्वास्थ्य समस्या हो तो हल्का फलाहार करें और चिकित्सक की सलाह लें।

स्कंदमाता आराधना के लाभ

  • मनोकामना पूर्णता: माँ के आशीर्वाद से भक्त की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
  • संतान-सुख: माँ के आशीर्वाद से संतान संबंधी बाधाएँ दूर होती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  • ज्ञान वृद्धि: माँ स्कंदमाता का वरदान बुद्धि, ज्ञान और विवेक को बढ़ाता है, जिससे अज्ञानता दूर होती है।
  • मानसिक शांति: पूजा से मन शांत एवं प्रसन्न रहता है; भय और तनाव दूर हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत के फायदे

नवरात्रि का व्रत इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसा प्रभाव दे सकता है — जो पाचन तंत्र को आराम देने, सूजन कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद करता है। फलों, दूध और फाइबरयुक्त भोजन से शरीर को आवश्यक पोषण मिलता है, लेकिन लंबे उपवास से कमजोरी हो सकती है। इसलिए स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह अवश्य लें और संतुलित व्रत करें।

जीवन में माँ का संदेश

माँ स्कंदमाता सिखाती हैं — मातृत्व की ममता में भी अद्भुत शक्ति निहित है। अपने भीतर के संदेह और भय को मिटाकर धैर्य एवं विश्वास के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करें। माँ के आशीर्वाद से हर अँधेरे में रोशनी की किरण खिल उठती है और हमारी हर संघर्ष विजय में बदल सकती है।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. नवरात्रि पाँचवा दिन कब है (2025)?

26 सितंबर 2025 को पाँचवे दिन की पूजा की जाएगी।

2. इस दिन का शुभ रंग क्या है?

पीला या श्वेत रंग शुभ माना जाता है।

3. कौन सा भोग चढ़ाएँ?

केले के व्यंजन (जैसे केला हलवा), खीर, गुड़, दूध और मौसमी फल अर्पित करें।

4. ऑफिस जाने वालों के लिए क्या करें?

सुबह जल्दी उठकर माँ की प्रतिमा/चित्र के सामने दीप जलाएँ और कम से कम 3 बार मंत्र 'ॐ देवी स्कंदमातायै नमः' का जाप करें। शाम को समय निकालकर आरती अवश्य करें।

🔚 प्रेरक संदेश

माँ स्कंदमाता सिखाती हैं — मातृत्व की कोमलता में भी अद्भुत शक्ति छिपी है। अपने भीतर के संदेह और भय को मिटाकर धैर्य एवं विश्वास के साथ हर नए आरंभ की ओर बढ़ें।

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