🌸 नवरात्रि तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ

तीसरा दिन — जब नवरात्रि का मार्ग और भी प्रगाढ़ होता है — माँ चंद्रघंटा का दिवस है। यह रूप हमें बताता है कि प्रेम और करुणा के साथ साहस भी आवश्यक है।
📝 इस लेख में आप जानेंगे:
- माँ चंद्रघंटा का परिचय और उनका आध्यात्मिक अर्थ।
- चंद्रघंटा की पौराणिक कथा और संदेश।
- पूजा की आसान-सी विधि, आवश्यक सामग्री, प्रमुख मंत्र और आरती।
- भोग, व्रत परंपरा और स्वास्थ्य के वैज्ञानिक पहलू।
- माँ चंद्रघंटा की आराधना से मिलने वाले मानसिक और व्यवहारिक लाभ।
- FAQs – नवरात्रि तीसरे दिन से जुड़े सामान्य प्रश्न।
नवरात्रि का तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा कौन हैं?
नाम 'चंद्रघंटा' का अर्थ है — चंद्र (चंद्रमा) + घंटा (घंटी) — क्योंकि उनके माथे पर अर्धचंद्राकार घंटा चित्रित होता है। वे वीरता, शौर्य और शांतचित्तता का प्रतीक हैं। उनका वाहन बाघ/शेर है, जो ज्ञान और निर्भयता को दर्शाता है।
चंद्रघंटा की पौराणिक कथा (संक्षेप)
मां पार्वती के कई स्वरूपों में से चंद्रघंटा वह रूप है जिसने दैत्य-राष्ट्र के विरुद्ध रणभूमि में शांतचित्त होकर युद्ध किया। उनके चमकते चंद्राकार घंटे ने शत्रुओं में भय उत्पन्न किया और भक्तों को धैर्य व साहस दिया। इस रूप का संदेश है — शांति और करुणा के साथ साहस दिखाना ही सच्ची शक्ति है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि (सरल और प्रभावी)
प्रातःकाल तैयारियाँ: स्नान कर लाल या गहरा पिंक/गेरुआ वस्त्र पहनें। पूजा स्थल साफ करें और लाल या केसरिया चादर बिछाएँ।
- माँ की तस्वीर/प्रतिमा स्थापित करें।
- घी या तेल के दीप जलाएँ और अगरबत्ती/धूप अर्पित करें।
- लाल फूल (गुलाब, गुड़हल) चढ़ाएँ।
- मंत्र का जप 108 बार या जितना समय हो सके उतनी बार करें।
- भोग में गुड़, मिश्री, दूध और मौसमी फल अर्पित करें।
- अंत में आरती करें और प्रसाद ग्रहण करें।
🔑 प्रमुख मंत्र
“ॐ देवी चन्द्रघंटायै नमः”
मंत्र का उच्चारण ध्यानपूर्वक और निस्वार्थ भाव से करें।
भोग और व्रत परंपरा
तीसरे दिन अधिकांश लोग फलाहार करते हैं या सामान्य फलाहार के साथ साबूदाना, दूध, दही और सिंघाड़े/कुट्टू के व्यंजन ग्रहण करते हैं। गुड़ और मिश्री को भोग में रखना उत्तम कहा जाता है। यदि स्वास्थ्य समस्या हो (जैसे डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप), तो चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
चंद्रघंटा की आराधना के लाभ (मानसिक और व्यावहारिक)
- साहस व आत्म-विश्वास: कठिन परिस्थितियों में ठोस निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।
- मानसिक संतुलन: क्रोध और भय की जगह शांति बनाए रखने में मदद मिलती है।
- धैर्य और सहनशीलता: सम्बन्धों व करियर में संयमित प्रतिक्रिया देना सीखने में सहायता।
- आत्म-नियंत्रण: भावनात्मक बुद्धिमत्ता में वृद्धि होती है।
व्रत और स्वास्थ्य — वैज्ञानिक दृष्टिकोण
नवरात्रि व्रत, विशेषकर फलाहार और सीमित भोजन, शरीर को एक तरह का अल्पकालिक इंटरमिटेंट फास्टिंग का अनुभव देता है। इसके संभावित फायदे: पाचन में सुधार, मानसिक स्पष्टता और सूजन घटने की प्रवृत्ति। पर ध्यान रखें—लंबे या कठोर उपवास की योजना चिकित्सकीय सलाह के बिना न करें।
दैनिक जीवन में चंद्रघंटा का संदेश
माँ चंद्रघंटा हमें सिखाती हैं कि कोमलता और करुणा के साथ भी हम निडर बन सकते हैं। भावनात्मक शांति को स्थिर रखते हुए कठिन काम में आगे बढ़ें।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन कब है?
नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन 24 सितंबर 2025 को मनाया जाएगा।
2. तीसरे दिन का शुभ रंग क्या है?
तीसरे दिन के लिए लाल/गेरुआ रंग शुभ माना जाता है।
3. चंद्रघंटा को कौन सा भोग प्रिय है?
माँ चंद्रघंटा को गुड़, मिश्री, दूध और स्थानीय मौसमी फल अर्पित करना शुभ है।
4. क्या बच्चे और बुज़ुर्ग व्रत रख सकते हैं?
यदि स्वास्थ्य सामान्य है और चिकित्सकीय सलाह मिली है, तो हल्का फलाहार रखा जा सकता है। छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों वाले लोगों को उपवास से बचना चाहिए।
5. पूजा के बाद क्या करना चाहिए?
पूजा के बाद प्रणय/संकल्प लें — छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं और रोज़ सुबह उनका संकल्प दोहराएँ। यह निरंतरता मन को मजबूत करती है।
🔚 प्रेरक संदेश
माँ चंद्रघंटा की पूजा हमें याद दिलाती है कि सच्चा साहस शांतचित्तता और दयालुता से आता है — हर चुनौती के सामने धैर्य और विवेक से खड़े रहिए।
अगर यह लेख पसंद आया हो तो शेयर करें और HealthyRaho.in से जुड़े रहें — ताकि हर त्यौहार पर आप सटीक, सुरक्षित और उपयोगी जानकारी पा सकें।
ज़रूर पढ़ें
- 🌸 हरतालिका तीज 2025: 25 या 26 अगस्त, कब है तीज और क्यों है खास? और सेहत
- बच्चों में हार्ट डिजीज बढ़े? AIIMS रिपोर्ट - 25% बढ़े केसेस, कारण और समाधान
- 🍋 महीने में 1 दिन यह जूस पीएं और लिवर को रखें साफ, Fatty Liver से बचें!