🍪 क्रीम बिस्किट: बच्चों की पसंद या सेहत का जाल? वो सच जो कंपनियां छिपाती हैं!

अंतिम अपडेट: 8 नवंबर 202512 min read
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क्या आप जानते हैं। जिसे हम और आप “क्रीम बिस्किट” समझकर सेहत और स्वाद के लिए रोज़ खाते हैं, वो असली क्रीम (Cream) नहीं बल्कि क्रेम (Crème) बिस्किट है! कंपनियों ने सिर्फ एक शब्द के स्पेलिंग से ऐसा भ्रम (illusion) बनाया है। लोग समझते हैं कि वो दूध या मलाई से बनी क्रीम खा रहे हैं, जबकि हकीकत में वो केवल रासायनिक तेल और चीनी का मिश्रण है।

बाजार में मौजूद ज़्यादातर बिस्किट ब्रांड “Cream” शब्द को हाईलाइट कर के दिखाते क्योंकि लोगों को लगे की वे जो बिस्किट खा रहे है दूध मलाई वाले क्रीम खा रहे है। लेकिन असल में वो “Crème” (यानी सिंथेटिक फैट मिक्स) का उत्पाद होता है।
यानी स्वाद और नाम के खेल से कंपनियाँ उपभोक्ताओं को “हेल्दी प्रॉडक्ट” का भ्रम दिखाकर मुनाफ़ा कमाती हैं

👉 इस आर्टिकल में आप जानेंगे —

  1. कैसे “Cream” और “Crème” के नाम से कंपनियाँ ग्राहकों को भ्रमित करती हैं।

  2. फैक्ट्री के अंदर ये “क्रेम फिलिंग” वास्तव में कैसे बनती है।

  3. इसका असर आपके हृदय, कोलेस्ट्रॉल और मेटाबॉलिज़्म पर क्या पड़ता है।

  4. रिसर्च-आधारित वे तथ्य जो कंपनियाँ आपसे छिपाती हैं।

  5. और सबसे ज़रूरी — इससे बचने के आसान और वैज्ञानिक उपाय।

🧩 1. “क्रीम”(Cream) या “क्रेम” (Crème) नाम का खेल जो कंपनियाँ खेलती हैं

आपको जानकर हैरानी होगी कि “क्रीम” और “क्रेम” में बस एक “ए” (é) का अंतर है, लेकिन सेहत पर इसका असर बहुत बड़ा है। बाजार में मौजूद ज़्यादातर बिस्किट जैसे “Vanilla Cream”, “Chocolate Cream” या “Strawberry Cream” असल में डेयरी क्रीम से बने नहीं होते, बल्कि इनमें इस्तेमाल होता है “Vegetable Cream” या “Crème Filling” होता हैं,जो पूरी तरह कृत्रिम (synthetic) होती है।

अब सवाल उठता है कि कंपनियाँ ऐसा क्यों करती हैं?

👉 कारण साफ़ है काम पैसा लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाना।
असली डेयरी क्रीम जल्दी खराब होती है, उसे ठंडा रखना पड़ता है, और कीमत ज़्यादा होती है। जबकि “क्रेम” (vegetable fat-based cream) लंबे समय तक खराब नहीं होती, सस्ती होती है और स्वाद में ज़्यादा आकर्षक लगती है।

इसलिए कंपनियाँ पैकेट पर “Cream Biscuit” लिखती हैं, लेकिन Ingredients List में होता है ।

“Hydrogenated vegetable fat, sugar, flavouring agent, emulsifier”

इस तरह ब्रांड्स ने “नाम का खेल” खेलकर उपभोक्ताओं की भावनाओं का फायदा उठाया है।
लोग सोचते हैं कि वो दूध से बनी मलाईदार क्रीम खा रहे हैं, जबकि वो असल में refined oil और chemical flavour खा रहे होते हैं।

🎯 सारांश:

“Cream” शब्द दिखाकर कंपनियाँ “Crème” यानी नकली क्रीम बेच रही हैं और उपभोक्ता मतलब (हम और आप)स्वाद में छिपे जोखिम से अनजान हैं।

🧪 2. कैसे बनती है ये “क्रेम (Crème) जानते है, फैक्ट्री के अंदर की सच्चाई

क्या आप जानते हैं कि आखिर ये “क्रीम” या “क्रेम फिलिंग” वास्तव में बनती कैसे है। बिस्किट की ये मुलायम सफ़ेद या चॉकलेट रंग की परत देखने में भले स्वादिष्ट लगे, लेकिन इसका वैज्ञानिक प्रोसेस जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

🏭 Step 1: फैट बेस तैयार करना

फैक्ट्री में सबसे पहले “फैट बेस” बनाया जाता है।
इसके लिए उपयोग होता है —

  • हाइड्रोजिनेटेड वनस्पति तेल (Hydrogenated Vegetable Oil)

  • पाम ऑयल या शॉर्टनिंग (Shortening)

इन तेलों को हाइड्रोजिनेशन प्रक्रिया से गुज़ारा जाता है यानी इन्हें कमरे के तापमान पर ठोस बनाया जाता है।
इस प्रक्रिया में “ट्रांस फैट” उत्पन्न होता है। जो WHO के अनुसार, हृदय रोगों (Heart attack) का सबसे बड़ा कारण है।

🧁 Step 2: काफी मात्रा में Suger और सिरप का मिश्रण।

अब इसमें मिलाई जाती है शक्कर या ग्लूकोज़ सिरप
इससे फिलिंग को मीठा स्वाद और गाढ़ापन मिलता है।
एक औसत क्रीम बिस्किट में 30–40% शक्कर होती है। जो शरीर में तुरंत ब्लड शुगर बढ़ाती है। जो हैल्थ के लिए काफी नुकसानदेह होता हैं।

⚗️ Step 3: इमल्सीफायर और स्टेबलाइज़र जोड़ना

अब मिश्रण को टिकाऊ और मुलायम बनाने के लिए इमल्सीफायर (जैसे लेसिथिन, पॉलीसॉरबेट 80) और स्टेबलाइज़र मिलाए जाते हैं।
ये रसायन फैट और शक्कर को एकसमान मिश्रण में बदलते हैं ताकि क्रेम फिलिंग देखने में चिकनी लगे और जल्दी पिघले नहीं।

🎨 Step 4: कृत्रिम फ्लेवर और रंग मिलाना

अब आता है स्वाद और रंग का जादू । यहाँ भी कंपनी लोगो को बेवकूफ बनती है “वैनिला”, “चॉकलेट”, "ऑरेंज", “स्ट्रॉबेरी” आदि के नाम पर कृत्रिम फ्लेवरिंग एजेंट और फूड कलर मिलाए जाते हैं।
यही वो हिस्सा है जो बच्चों को सबसे ज़्यादा आकर्षित करता है, पर यही सबसे हानिकारक भी है। कई बार सस्ता फूड कलर टार(अलकतरा) डाई बेस्ड होता है, जो लंबे समय में लिवर और किडनी पर असर डाल सकता है।

🧊 Step 5: मशीनों से फिलिंग तैयार करना

अब इस तैयार मिश्रण को बड़ी मशीनों में डालकर फेंटा जाता है ताकि उसमें हवा भर जाए और फिलिंग “क्रीमी” दिखे। फिर ये फिलिंग बिस्किट की दो परतों के बीच ऑटोमैटिक मशीनों से डाली जाती है।

इस पूरी प्रक्रिया में कहीं भी असली दूध, मलाई या प्राकृतिक सामग्री का प्रयोग नहीं होता।
बस रासायनिक तत्वों का ऐसा संयोजन किया जाता है जो दिखने और स्वाद में क्रीम जैसा मतलब दूध मलाई जैसा लगे। लेकिन होता नही है।

⚠️ फैक्ट जो जानना ज़रूरी है:

“इस तरह बनी क्रीम को लंबे समय तक खराब न होने के लिए प्रिज़र्वेटिव डाले जाते हैं, जिससे उसकी शेल्फ लाइफ 6 से 9 महीने तक हो जाती है — लेकिन ये फैट्स शरीर में 72 घंटे तक पचते नहीं!”

WHO और AIIMS दोनों ने चेतावनी दी है कि ऐसी फिलिंग ट्रांस फैट और रिफाइंड शुगर का मुख्य स्रोत है, जो धीरे-धीरे हृदय, लीवर और मेटाबॉलिज़्म पर भारी असर डालती है।

❤️‍🔥 3. हैल्थ पर असर क्रीम बिस्किट शरीर के अंदर क्या नुकसान करता है?

बचपन से हम सबने किसी न किसी ब्रांड का “क्रीम बिस्किट” जरूर खाया होगा चाहे वो चाय के साथ हो, टिफिन में हो , या भूख मिटाने के लिए जल्दी में हो।
लेकिन क्या कभी सोचा है कि इस मीठे स्वाद का आपके शरीर के अंदर क्या असर होता है?

क्रीम बिस्किट खाने के कुछ मिनटों में ही शरीर में शुगर और फैट तेजी से बढ़ने लगते हैं।
ये असर तुरंत तो नहीं दिखता, लेकिन धीरे-धीरे दिल, लीवर और ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुँचाता है।

⚠️ 1️⃣ बढ़ता है “खराब कोलेस्ट्रॉल” (LDL)

क्रीम बिस्किट में मौजूद “हाइड्रोजिनेटेड ऑयल” शरीर में जाकर LDL यानी खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है।
LDL का काम है। फैट को खून की नलियों में जमा करना।
जब ये ज्यादा हो जाता है, तो धमनियाँ (arteries) सख्त और संकरी हो जाती हैं।

👉 परिणाम:

  • ब्लड फ्लो कम होता है जिसे ब्लॉकेज कहते है।

  • हार्ट पर प्रेशर बढ़ता है

  • हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार —

हर साल करीब 5 लाख मौतें केवल ट्रांस फैट और प्रोसेस्ड स्नैक्स के कारण होती हैं।

💔 2️⃣ घटता है “अच्छा कोलेस्ट्रॉल” (HDL)

अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) कोलेस्ट्रॉल शरीर का “क्लीनर” होता है। ये शरीर में जमा हुए खराब फैट को बाहर निकालता है। क्रीम बिस्किट में मौजूद ट्रांस फैट HDL को कम कर देता है, जिससे शरीर से फैट साफ़ नहीं हो पाता।

👉 नतीजा —
शरीर में फैट जमा होता जाता है, पेट निकलने लगता है, और हार्ट की कार्यक्षमता घटती है।

🍬 3️⃣ ब्लड शुगर और मोटापा

एक पैकेट क्रीम बिस्किट में लगभग 5–6 चम्मच शक्कर होती है। ये शुगर तुरंत ब्लड ग्लूकोज़ बढ़ाती है, जिससे इंसुलिन स्पाइक होता है। बार-बार ऐसा होने पर शरीर इंसुलिन के प्रति रेज़िस्टेंट हो जाता है,और यही से शुरू हो जाती है वजन बढ़ने, थकान और टाइप-2 डायबिटीज़ की कहानी।

🧠 4️⃣ दिमाग़ और मूड पर असर

आपने नोटिस किया होगा जब भी आप क्रीम बिस्किट खाया होगा उसके कुछ देर बाद काफी “अच्छा” महसूस होता है, फिर दोबारा खाने का मन करता है।
यह कोई संयोग नहीं है। ये डोपामीन इफेक्ट है।
शुगर और फैट दिमाग़ में “प्लेज़र हार्मोन” बढ़ाते हैं, जिससे आदत पड़ जाती है

AIIMS की 2023 की एक स्टडी के मुताबिक —

ऐसे अल्ट्रा-प्रोसेस्ड स्नैक्स “mild addiction” पैदा करते हैं,
जिससे बच्चों में ध्यान और भूख दोनों प्रभावित

🩺 5️⃣ लंबे समय के प्रभाव

  • फैट लिवर (Fatty Liver)

  • हाई ट्राइग्लिसराइड्स

  • हार्मोनल असंतुलन (खासकर महिलाओं में)

  • पेट की सूजन और गैस की समस्या

सीधा मतलब:
क्रीम बिस्किट रोज़ाना खाने से शरीर धीरे-धीरे “Silent Damage Mode” में चला जाता है। बाहर से कुछ नहीं दिखता, पर अंदर से सिस्टम बिगड़ने लगता है।

🧠 4. रिसर्च से जुड़े वो फैक्ट जो कंपनियाँ नहीं बतातीं

कंपनियाँ आपको पैकेट के सामने “Delicious Cream”, “Rich Taste” या “No Trans Fat” जैसे शब्द दिखाती हैं, लेकिन असल सच्चाई पैकिंग के पीछे के छोटे अक्षरों में छिपी होती है।

यहाँ पढ़िए कुछ वैज्ञानिक तथ्य जो आपके नजरिए को बदल देंगे 👇

📊 फैक्ट 1: “Zero Trans Fat” का मतलब Zero नहीं होता

भारत में FSSAI नियमों के मुताबिक,
अगर किसी प्रोडक्ट में प्रति सर्विंग 0.5 ग्राम से कम ट्रांस फैट हो, तो कंपनी पैक पर “Zero Trans Fat” लिख सकती है।
यानी आप अगर 5–6 बिस्किट खा लें,
तो आपके शरीर में आधे चम्मच के बराबर ट्रांस फैट पहुँच जाता है बिना बताए!

💉 फैक्ट 2: AIIMS और WHO दोनों की चेतावनी

  • AIIMS Delhi (2023) के अनुसार “जो लोग रोज़ाना 2 या उससे अधिक क्रीम बिस्किट खाते हैं,
    उनमें 8 हफ्तों के भीतर खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL)10% तक बढ़ता देखा गया।”

  • WHO (2024)
    “Industrial Trans Fat को पूरी तरह खत्म करना आवश्यक है,
    क्योंकि यह हृदय रोगों का सबसे छिपा हुआ कारण है।”

🧪 फैक्ट 3: PubMed रिसर्च (2022)

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया।

“जिन देशों ने ट्रांस फैट पर बैन लगाया, वहाँ हार्ट अटैक से मौतों में 25% कमी आई।”
यानी सिर्फ बिस्किट और प्रोसेस्ड स्नैक्स कम करने से भी
दिल की बीमारी का खतरा एक चौथाई तक घट सकता है।


🧁 फैक्ट 4: असली क्रीम बनाम नकली क्रेम

तुलना बिंदु

असली डेयरी क्रीम

नकली क्रेम फिलिंग

स्रोत

दूध / मलाई

वनस्पति तेल + रसायन

शेल्फ लाइफ

2–3 दिन

6–9 महीने

ट्रांस फैट

बहुत कम

अत्यधिक

पोषण मूल्य

प्रोटीन, कैल्शियम

शुगर और खाली कैलोरी

सेहत पर असर

लाभदायक (सीमित मात्रा में)

हानिकारक (नियमित सेवन में)

🧠 फैक्ट 5: Ultra Processed Food का मानसिक प्रभाव

फ्रांस की NutriNet-Santé Study (2022) में पाया गया की।

जो लोग रोज़ाना 4 या उससे ज़्यादा बार प्रोसेस्ड फूड खाते हैं,
उनमें डिप्रेशन और नींद की समस्या के मामले 32% ज़्यादा पाए गए।

यानी क्रीम बिस्किट सिर्फ शरीर को नहीं,
बल्कि दिमाग़ और मूड को भी धीरे-धीरे प्रभावित करता है।

📍 निचोड़ (Summary):

क्रीम बिस्किट के हर पैकेट के साथ आप केवल स्वाद नहीं, बल्कि ट्रांस फैट, चीनी और रासायनिक पदार्थों का मिश्रण अपने शरीर में डाल रहे हैं।
कंपनियाँ जानबूझकर “क्रीम” शब्द का उपयोग करती हैं ताकि उपभोक्ता “हेल्दी” महसूस करें,
लेकिन हकीकत में ये “क्रेम” यानी सिंथेटिक फैट ही होता है।

🥗 5️⃣ कैसे बचें क्रीम बिस्किट के इस “मीठे जाल” से?

हम सब जानते हैं। क्रीम बिस्किट का पैकेट खोलते ही जो खुशबू आती है,
वो हमें “बस एक खा लेने” का बहाना दे देती है 😋
लेकिन अब जब सच्चाई सामने है, तो बदलाव भी आसान है क्योंकि इससे होने वाले नुकसान का पता चल चुका है।
बस थोड़ी स्मार्टनेस और सजगता चाहिए।

🍪 1️⃣ “क्रीम” नहीं, पैक का Ingredients पढ़ें

कंपनियाँ पैक के फ्रंट पर “Rich Cream” लिखती हैं,
पर असली सच पीछे छिपा होता है।जहाँ लिखा रहता है: Hydrogenated Oil, Emulsifier, Artificial Flavour, Sugar, Palm Fat

📌 टिप:

  • “Milk Cream” या “Butter Cream” लिखा हो तभी लें

  • अगर “Hydrogenated Fat,Emulsifier, Artificial Flavour, Sugar, Palm Fat। ” दिखे आप ऐसे बिस्किट को NO THANKS! कहे।

👉 ये आदत आपकी हेल्थ को सालों आगे सुरक्षित रख सकती है।

🧁 2️⃣ घर पर बनाएं हेल्दी बिस्किट (Natural Cream Version)

शुगर, मैदा और ऑयल की जगह लें —

  • ओट्स या गेहूं का आटा

  • देसी घी

  • शहद या खजूर पेस्ट

  • काजू-क्रीम या पीनट-बटर फिलिंग

🍯 बस 15 मिनट में ओवन या कढ़ाई में “नेचुरल क्रीम बिस्किट” तैयार। मतलब आप घर पे ही बने ।
स्वाद वही, लेकिन शरीर बोलेगा — Thank You! ❤️

💧 3️⃣ दिनभर में मीठे स्नैक्स की लिमिट तय करें

WHO के अनुसार —

रोजाना कुल कैलोरी का सिर्फ 5–10% ही शुगर से आना चाहिए।

मतलब, अगर आपका कैलोरी इनटेक 2000 kcal है,
तो 25–30 ग्राम (लगभग 6 चम्मच) से ज़्यादा शुगर नहीं होनी चाहिए।

❌ 4–5 क्रीम बिस्किट = आपकी पूरी दिन की शुगर लिमिट
इसलिए हर दिन “बस थोड़े से” भी असल में काफी ज़्यादा हैं।

🍵 4️⃣ Tea Time में Smart Swaps करें

क्रीम बिस्किट छोड़िए — और ट्राई करें 👇

स्नैक

बेहतर विकल्प

क्रीम बिस्किट

ओट्स कुकी या डाइजेस्टिव बिस्किट

वनीला/चॉकलेट बिस्किट

होममेड एनर्जी बॉल्स (खजूर + बादाम)

शक्कर वाली चाय

ग्रीन टी या दालचीनी टी

नमकीन बिस्किट

मखाना या भुना चना

📌 धीरे-धीरे ये बदलाव करने पर क्रेविंग खुद कम होने लगती है।

🧠 5️⃣ बच्चों को सिखाएँ “फूड लेबल” पढ़ना

आज के बच्चे कल के कंज्यूमर हैं।
उन्हें सिखाइए कि “क्रीम” और “क्रेम” में फर्क क्या है।

👩‍🏫 छोटे-छोटे तरीके:

  • बच्चों को बिस्किट पैक दिखाइए और Ingredients पढ़वाइए

  • साथ में “Made with Real Milk” या “No Hydrogenated Fat” सर्च करवाइए

  • हेल्दी स्नैक्स को गेम की तरह चुनवाइए

इससे बच्चे खुद “स्मार्ट ईटर” बनते हैं — और यही असली जीत है।

💪 6️⃣ महीने में 1 “Food Detox Week” अपनाइए

हर महीने 7 दिन तय करें जब आप:

  • कोई प्रोसेस्ड फूड नहीं खाएँ

  • सिर्फ ताज़ा घर का खाना, फल, सलाद और पानी लें

  • हफ्ते के अंत में खुद में फर्क महसूस करें —
    त्वचा साफ़, नींद बेहतर, और एनर्जी ज़्यादा

👉 इसे WHO और Harvard Health दोनों ने
“Metabolic Reset Routine” कहा है।

🌱 7️⃣ असली स्वाद की ओर वापसी करें

क्रीम बिस्किट का स्वाद कृत्रिम है —
लेकिन असली स्वाद उन चीज़ों में है जो जीवन देती हैं,
जैसे ताज़े फल, दूध, शहद और देशी मिठाइयाँ।

💬 एक बार मन से फैसला कीजिए —
“अब से मैं स्वाद के नाम पर ज़हर नहीं,
बल्कि सेहत के नाम पर मिठास लूँगा।”

🌟 Final Thought:

क्रीम बिस्किट सिर्फ एक स्नैक नहीं,
बल्कि आज की मॉडर्न मार्केटिंग का सबसे बड़ा हेल्थ ट्रैप है। कंपनियाँ आपको “क्रीम” दिखाकर “क्रेम” खिलाती हैं,
पर सच्चा बदलाव आपके किचन और आपके माइंडसेट से शुरू होता है।

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आपका हर बाइट अब हेल्दी बाइट बने! 🍏

लेखक के बारे में ✍️मणि रंजन अम्बष्‍ठस्वास्थ्य और जीवनशैली विषयों पर विश्वसनीय और शोध आधारित जानकारी साझा करने वाले विशेषज्ञ लेखक।

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