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छठ पूजा 2025: शुभ मुहूर्त, सूर्योदय-सूर्यास्त के सटीक समय और स्वास्थ्य

अंतिम अपडेट: 15 अक्टूबर 20256 min read
छठ पूजा 2025 के दौरान घाट पर महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हुईं, सूर्यास्त के सुंदर दृश्य के साथ।

कहते हैं, जब सीता माता अयोध्या लौटने के बाद मिथिला में रहीं, तब उन्होंने सूर्य देव की उपासना कर पुत्र सुख की कामना की — वहीं से छठ पर्व की शुरुआत मानी जाती है।

लेकिन इस कथा से भी पुराना प्रमाण हमें ऋग्वेद और महाभारत में मिलता है, जहाँ सूर्योपासना को जीवन शक्ति, स्वास्थ्य और आयु का स्रोत बताया गया है।

पहली छठ पूजा करना सूर्यवंशी राजा प्रियव्रत की पत्नी मालिनी ने की थी, जब उन्हें संतान नहीं हो रही थी। सूर्य की उपासना के बाद उन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ — तभी से यह व्रत “संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि” का प्रतीक बन गया।

छठ पूजा का असली उद्देश्य सिर्फ धार्मिक नहीं था। यह एक प्राकृतिक और वैज्ञानिक साधना थी, जिसमें मनुष्य सूर्य, जल, वायु और आत्मा से जुड़कर अपने शरीर व मानसिक संतुलन को शुद्ध करता है।

📝 इस लेख में आप जानेंगे:

  • छठ पूजा 2025 की तिथियाँ, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का सटीक समय

  • छठ के चार पवित्र दिन और उनकी आध्यात्मिक कथा

  • सूर्योपासना के वैज्ञानिक और स्वास्थ्य लाभ

  • पूजा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें

  • आम लोगों के प्रश्नों के उत्तर (FAQ)

📅 छठ पूजा 2025 की तिथि और कैलेंडर

🌴छठ पर्व हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

2025 में यह उत्सव 25 से 28 अक्टूबर तक मनाया जाएगा:

दिन

तिथि

पर्व

सूर्योदय

सूर्यास्त

शनिवार

25 अक्टूबर

नहाय-खाय

6:41 AM

6:06 PM

रविवार

26 अक्टूबर

खरना

6:41 AM

6:05 PM

सोमवार

27 अक्टूबर

संध्या अर्घ्य

6:42 AM

6:05 PM

मंगलवार

28 अक्टूबर

उषा अर्घ्य

6:42 AM

6:04 PM

> ⚠️ नोट: स्थानीय समय में कुछ मिनटों का अंतर संभव है। अपने क्षेत्र का सूर्योदय-सूर्यास्त समय जरूर जांचें।

🌾 छठ पूजा के चार दिन — अर्थ और महत्व

1️⃣ नहाय-खाय (पहला दिन)

यह दिन शरीर की शुद्धि का प्रतीक है। व्रती नदी में स्नान कर सात्विक भोजन (लौकी-चावल और चने की दाल) करती हैं।

👉 आध्यात्मिक अर्थ: आत्मा की शुद्धि

👉 स्वास्थ्य दृष्टि से: शरीर डिटॉक्स की प्रक्रिया शुरू करता है, और एक संतुलित उपवास प्रणाली की तैयारी होती है।

2️⃣ खरना (दूसरा दिन)

इस दिन व्रती पूरे दिन निराहार रहकर शाम को गुड़-चावल का प्रसाद बनाकर सूर्य को अर्पण करती हैं

👉 कथा: इसे “शुद्धता की कसौटी” कहा गया है

👉 स्वास्थ्य लाभ: गुड़ में आयरन और मिनरल्स होते हैं जो अगले दिन के उपवास में ऊर्जा देते हैं।

3️⃣ संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)

यह सबसे भावनात्मक क्षण होता है जब महिलाएँ सूर्यास्त के समय जल में खड़ी होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

👉 आध्यात्मिक अर्थ: डूबते सूर्य को प्रणाम करके जीवन की हर कठिनाई में आस्था कायम रखना

👉 स्वास्थ्य लाभ: सूर्यास्त के समय हल्की किरणें शरीर को विटामिन D देती हैं, जो मानसिक संतुलन और प्रतिरक्षा में मददगार है।

4️⃣ उषा अर्घ्य (चौथा दिन)

सुबह की पहली किरणों के साथ व्रती अर्घ्य देकर व्रत तोड़ती हैं।

👉 आध्यात्मिक अर्थ: नई शुरुआत का प्रतीक।

👉 स्वास्थ्य लाभ: सुबह की सूर्य किरणें मेलाटोनिन और सेरोटोनिन को संतुलित करती हैं — नींद, मूड और ऊर्जा को नियंत्रित करती हैं।

🧘‍♀️ छठ पूजा और स्वास्थ्य: विज्ञान क्या कहता है?

☀️ 1. विटामिन D का प्राकृतिक स्रोत

सूर्य की सुबह की किरणें त्वचा को बिना नुकसान पहुँचाए विटामिन D प्रदान करती हैं। इससे हड्डियाँ मजबूत और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। और जब हम अर्ध देते है तो यही किरणे प्रसाद पे परती है। जो स्वास्थ के लिए लाभकारी होता है।

💧 2. जल चिकित्सा (Hydro Therapy)

वर्त करने वाले जो भी वर्ती होते है, घाट पर लंबे समय तक जल में खड़ा रहते है जल में अधिक देर तक खरा रहना रक्त संचार को बेहतर करता है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है और सूजन घटती है।

🧠 3. मानसिक शांति और मेडिटेशन प्रभाव

सूर्योपासना के दौरान ध्यान और मंत्रोच्चार से माइंडफुलनेस बढ़ती है, तनाव कम होता है और नींद सुधरती है।

🥗 4. उपवास के डिटॉक्स लाभ

लगातार 36 घंटे का व्रत ऑटोफेजी प्रक्रिया को सक्रिय करता है — यह शरीर की मृत कोशिकाओं को साफ करता है, जिससे त्वचा चमकदार और दिमाग हल्का महसूस करता है।

💫 5. जीवनशैली अनुशासन

छठ पर्व व्यक्ति को संयम, नियमितता और धैर्य सिखाता है — जो आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में मानसिक स्वास्थ्य का आधार है।

⚡ सूर्य पूजा के नियम और सावधानियाँ

1. सूर्योदय-सूर्यास्त का स्थानीय समय जांचें — मोबाइल या पंचांग से।

2. कृत्रिम प्रसाद न बनाएं —प्रसाद के लिए गुड़, गेंहू, गन्ना, नारियल जैसे शुद्ध तत्व प्रयोग ही करें।

3. व्रत के दौरान धूप से सावधानी रखें — हल्की चादर या कपड़ा रखें।

4. गंगा जल या स्वच्छ जल ही प्रयोग करें।

5. मन को स्थिर रखें — छठ पूजा में मन की शुद्धता सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है।

❓ FAQs — छठ पूजा 2025 से जुड़े आम प्रश्न

Q1. छठ पूजा की शुरुआत किसने की थी?

➡️ सबसे पहले सूर्यवंशी राजा प्रियव्रत की पत्नी मालिनी ने, पुत्र प्राप्ति की कामना से।

Q2. 2025 में छठ पूजा कब है?

➡️ 25 से 28 अक्टूबर 2025 तक, अंतिम उषा अर्घ्य 28 अक्टूबर को।

Q3. छठ पूजा में सूर्य को जल देने का वैज्ञानिक कारण क्या है?

➡️ सुबह और शाम की किरणें शरीर में विटामिन D, सेरोटोनिन और हार्मोनल संतुलन लाती हैं।

Q4. क्या छठ पूजा के दौरान उपवास स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है?

➡️ नहीं, यदि सही तरीके से किया जाए तो यह शरीर को डिटॉक्स और मानसिक अनुशासन में मदद करता है।

Q5. पुरुष भी छठ पूजा कर सकते हैं क्या?

➡️ हां, छठ पर्व में लिंग का कोई भेद नहीं है — यह श्रद्धा और आत्म-नियंत्रण का पर्व है।

🌻 संदेश — सूर्य से संवाद

छठ पूजा हमें याद दिलाती है कि हम प्रकृति के बिना अधूरे हैं।

जब सूरज की पहली किरण चेहरे पर पड़ती है, वह सिर्फ रोशनी नहीं लाती — वह हमें भीतर से जगाती है।

यह पर्व सिखाता है कि भक्ति, विज्ञान और स्वास्थ्य तीनों एक ही पथ के साथी हैं।

तो इस 27–28 अक्टूबर को जब आप घाट पर खड़े हों — बस एक पल के लिए आँखें बंद करें और मन से कहें “धन्यवाद, सूर्य देव — जीवन, ऊर्जा और संतुलन के लिए।” ☀️

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