✨ नवरात्रि आठवां दिन – माँ महागौरी की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ

एक रात मैं चांदनी में खड़ी थी, पूरी चुप्पी और ठंडी हवा ने मेरा मन शांत कर दिया। उसी समय मेरी दादी ने धीरे से कहा, “जब अंदर की गंदगी मिटेगी, तुम्हारी आत्मा उतनी ही उजली होगी जितनी चांदनी।” नवरात्रि का आठवां दिन हमें मां महागौरी की भक्ति से यह सीख देता है — अंदर की अशुद्धि को धो देना, आत्मा को उज्ज्वल बनाना।
📝 इस लेख में आप जानेंगे:
- माँ महागौरी का नाम अर्थ, प्रतीक और महत्व।
- उनकी पौराणिक कथा और आध्यात्मिक संदेश।
- पूजा विधि — सामग्री, मंत्र, आरती, और पूजन क्रम।
- भोग-व्रत सुझाव — पारंपरिक और स्वास्थ्य-अनुकूल विकल्प।
- माँ महागौरी की पूजा से मिलने वाले लाभ।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत, ध्यान और मानसिक शुद्धि।
- प्रेरक संदेश और दैनिक अमल।
- FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न।
माँ महागौरी कौन हैं?
“महागौरी” नाम दो शब्दों से बना है — ‘महा’ (महान) और ‘गौरी’ (श्वेत, उज्ज्वल) — अर्थात् अत्यंत उज्ज्वल, पवित्र स्वरूप। वह दुर्गा की आठवीं स्वरूप हैं, जिनका दर्शन शुद्धता, सौम्यता और आत्म-शुद्धि का प्रतीक है।
उनके चार हाथ होते हैं: एक हाथ अभय मुद्रा (भय न हो), दूसरा वरद मुद्रा (आशीर्वाद देना), तीसरे हाथ में त्रिशूल और चौथे हाथ में डमरु। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं, सफेद बैल पर विराजमान हैं, और उनका स्वरूप अत्यंत शांत, दिव्य और उज्ज्वल है।
पौराणिक कथा एवं संदेश
कहा जाता है कि जब देवी पार्वती कठोर तपस्या कर रही थीं और उनका शरीर अत्यधिक तप से गंदा और काला हो गया था, तब माँ गंगा ने उन्हें स्नान कराकर शुद्ध किया। स्नान के बाद उनका रूप उज्जवल और निर्मल हो गया — इस कारण उनसे महागौरी नाम पड़ा।
एक अन्य कथा कहती है कि जब राक्षसों ने अत्याचार बढ़ाया, देवी ने उज्जवल और सौम्य स्वरूप धारण किया ताकि भक्तों को यह संदेश मिले कि शक्ति केवल तेजस्वी ही नहीं, सौम्य भी होती है।
नवरात्रि आठवां दिन — शुभ रंग
नवरात्रि 2025 के अनुसार, आठवे दिन का शुभ रंग Peacock Green (मोरिया हरा) माना गया है।
पूजा विधि — विस्तृत क्रम
सुबह की तैयारी: शुद्ध स्नान करें, सफेद या हल्का हरा वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को सफेद या हल्के हरे कपड़े से सजाएँ।
👉 अगला पढ़ें: नवरात्रि नौवां दिन – माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ
पूजन सामग्री (समग्री):
- माँ महागौरी की प्रतिमा/चित्र
- सफेद फूल (जैसे जास्वंद, चमेली), हल्दी, कुंकुम
- घी का दीप, अगरबत्ती/धूप
- दूध, मिश्री, गुड़, फल, नारियल
- चावल, हल्का प्रसाद (खीर, सफेद लड्डू)
- शुद्ध जल, अक्षत, शंख (यदि संभव हो)
पूजा क्रम:
- प्रतिमा या चित्र को शुद्ध जल से स्नान कराएँ।
- घी का दीप जलाएँ और धूप प्रदान करें।
- सफेद फूल, हल्दी-कुंकुम और अक्षत अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें — 3, 11 या 108 बार।
- आरती करें और प्रसाद अर्पित करें।
- कन्या पूजन करें (यदि संभव हो) — नवयुवा कन्याओं को पूजकर उन्हें भोजन एवं भेंट दें।
प्रमुख मंत्र और जाप
ॐ देवी महागौर्यै नमः
यदि विस्तार से पाठ करना चाहें, तो:
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दघान्महादेवप्रमोददा॥
इस मंत्र का अर्थ है — “जो श्वेत (उज्जवल) वेशधारी हैं, वह पवित्र हैं, महागौरी जो सौम्यता और शक्ति की झलक देती हैं।”
भोग और व्रत सुझाव
इस दिन सफेद और हल्के रंगों वाले प्रसाद प्रिय माने जाते हैं — जैसे दूध, खीर (सफेद), सफेद लड्डू, श्वेत फल (सेब, नाशपाती), कुट्टू/साबूदाना आधारित हल्के व्यंजन।
स्वास्थ्य-अनुकूल सुझाव:
- व्रत के दौरान पर्याप्त पानी, नारियल पानी आदि पिएँ।
- बहुत मीठा न लें — यदि डायबिटीज़ हो, तो फलाहार विकल्प चुनें।
- भोजन को हल्का और सुपाच्य रखें — दही, दूध, दलहन शामिल करें।
- यदि स्वास्थ्य समस्या है तो चिकित्सक की सलाह के बाद व्रत करें।
पूजा से मिलने वाले लाभ
- शुद्धि और मानसिक शांति: अंदर की अशुद्धि और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
- सौम्यता एवं संयम: शांत और कोमल स्वभाव की वृद्धि होती है।
- आत्मिक बल: साहस मिलता है; जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
- वांछित सिद्धि: भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं — विशेषकर शुद्ध जीवन की।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण: व्रत, ध्यान और मानसिक शुद्धि
ध्यान, मंत्र जाप और व्रत की आत्मशैली हमें मानसिक रूप से केंद्रित करती है। न्यूरोसाइंस यह बताती है कि नियमित ध्यान से प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और हिपोकैम्पस सक्रिय होते हैं — जिससे तनाव कम होता है और भावनात्मक नियंत्रण बेहतर होता है।
उपवास (साधारण व्रत) पाचन तंत्र को आराम देता है और शरीर को पुनरुद्धार का अवसर देता है। साथ ही, सरल व पौष्टिक भोजन से ऊर्जा स्थिर रहती है और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है।
प्रेरक संदेश और दैनिक अमल
महागौरी हमें यह बताती हैं कि चमक और सौम्यता दोनों साथ हो सकती हैं। बाहरी आभा जितनी उजली, अंदर की आत्मा उतनी ही स्पष्ट हो — और बिना कठोरता के, भीतर से उज्जवल बनो।
आज से ही — हर सुबह 5 मिनट शांत ध्यान करो, मन की अशुद्धि को पहचानो और उसे अवज्ञा दो। धीरे-धीरे जीवन में सुंधरता और हल्कापन आएगा।
FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. नवरात्रि आठवां दिन कब है (2025)?
29 सितंबर 2025 को आठवें दिन की पूजा की जाएगी।
2. इस दिन का शुभ रंग क्या है?
2025 में शुभ रंग Peacock Green (मोरिया हरा) माना गया है।
3. क्या मैं कन्या पूजन कर सकता/सकती हूँ?
हाँ — आठवें दिन कन्या पूजन करना बहुत शुभ माना जाता है। नौ मासूम कन्याओं को भोजन, प्रसाद व उपहार देना पुण्य का काम है।
4. कार्यालय जाने वालों के लिए क्या सरल तरीका है?
सुबह जल्दी उठा कर केवल दीप-प्रणाम और मंत्र “ॐ देवी महागौर्यै नमः” का 3–11 बार जाप करें। शाम को आरती एवं ध्यान का समय निकालें।
5. व्रत में किन सावधानियों की आवश्यकता है?
लंबे उपवास से बचें — दिन में हल्का भोजन और जल लें। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है (जैसे मधुमेह, रक्तचाप), तो पहले चिकित्सक से सलाह लें।
🔚 प्रेरक संदेश
माँ महागौरी सिखाती हैं — आत्मा को उज्जवल बनाओ, अंदर की अशुद्धि को धो दो। तभी बाहर की चमक भी सच्ची बनेगी।
यदि यह लेख आपकी आत्मा को छू गया हो तो HealthyRaho.in के अन्य नवरात्रि लेख (Day 1–7) ज़रूर पढ़ें और इसे अपने प्रियजनों के साथ साझा करें। यह नौ दिन सिर्फ पूजा नहीं, आत्मा की सफाई की यात्रा है — और माँ की कृपा हर कदम पर हमारे साथ है।
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