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🌺 नवरात्रि छठा दिन – माँ कात्यायनी की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ

25 सितंबर 20257 min read
नवरात्रि छठा दिन – माँ कात्यायनी की पूजा

याद है बचपन में वो सुबह, जब किसी डर या मुश्किल ने हमें घेर लिया हो और मां अकेले ही सब हल कर देती थीं? मुझे आज भी वो पल याद है — माँ ने शांत स्वर में कहा, “डर मत — कर लो,” और समस्या छोटे से लगने लगी। नवरात्रि का छठा दिन भी कुछ वैसा ही है: माँ कात्यायनी आती हैं — युद्ध की वीरांगना नहीं मात्र, बल्कि उस माँ का रूप जो हमें डर से लड़ने की हिम्मत देती हैं।

📝 इस लेख में आप जानेंगे:

  • माँ कात्यायनी का अर्थ, प्रतीक और आध्यात्मिक महत्व।
  • उनकी पौराणिक कथा और उस कथा का आज के जीवन से संबंध।
  • सरल और प्रभावी पूजा विधि — सामग्री, मंत्र और आरती।
  • भोग और स्वस्थ व्रत विकल्प (डायबिटीज़/हाइपरटेंशन के लिए सुझाव)।
  • कात्यायनी आराधना से मिलने वाले मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक लाभ।
  • वैज्ञानिक दृष्टि से व्रत और ध्यान के फ़ायदे।
  • प्रेरणादायक जीवन संदेश और FAQs — छठे दिन से जुड़े सामान्य प्रश्न।

माँ कात्यायनी कौन हैं?

कात्यायनी देवी शक्ति के उसी रूप का नाम है जो क्रोध और दृढ़ता के साथ अधर्म का विनाश करती है। उनका नाम 'कात्यायनी' उन ऋषि कात्यायन से जुड़ा बताया जाता है, जिनके आश्रम में देवी का वास हुआ। कात्यायनी को नवरात्रि का छठा स्वरूप माना जाता है — वह माँ जो गंभीर चुनौती में भी संकल्प प्रदान करती हैं।

उनका रूप दाहिने हाथों में अस्त्र-शस्त्र लिए हुए, और वे सिंह पर सवार दिखती हैं। उनका तेज और रूप भक्तों में साहस, स्थिरता व निर्णायक क्षमता पैदा करता है।

पौराणिक कथा (संक्षेप और अर्थ)

पुराणों में बताया गया है कि राक्षसों के अत्याचार से त्रस्त देवताओं ने माता पार्वती से उनकी मदद मांगी। देवी ने कात्यायनी रूप धारण कर कई राक्षसों का संहार किया। एक कथा के अनुसार, महिषासुर और कई अन्य दैत्य इसी समय नष्ट हुए। काथ्यायनी का योद्धा रूप बताता है कि जरूरत पड़ने पर ममता के साथ-साथ कठोर शक्ति भी आवश्यक होती है — यह भूमिका जीवन के कठिन निर्णयों में हमें साहस देती है।

नवरात्रि छठा दिन — शुभ रंग और प्रतीक

छठे दिन का पारंपरिक शुभ रंग लाल/गहरा लाल है — यह शक्ति, जीवंतता और क्रियाशीलता का प्रतीक है। लाल कपड़े पहनकर, लाल फूल अर्पित करके और उस ऊर्जा को अपने भीतर महसूस करके हम कात्यायनी के स्वरूप से जुड़ते हैं।

माँ कात्यायनी की पूजा विधि (सरल और प्रभावी)

सुबह की तैयारी: ताज़ा स्नान कर लाल वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ़ करके लाल या केसरिया कपड़ा बिछाएँ।

आवश्यक सामग्री (समग्री):

  • कात्यायनी की प्रतिमा/चित्र
  • लाल वस्त्र, लाल फूल (गुलाब, गेंदा), अक्षत
  • घी का दीप, अगरबत्ती/धूप
  • कुंकुम, सिंदूर, हल्दी, नैवेद्य (भोग)
  • केसर, मिश्री, गुड़, दूध, फल
  • नारियल, चोटा दीपक, प्रसाद के लिए लड्डू/खीर

क़दम-दर-क़दम विधि:

  1. पूजा स्थल पर माँ की प्रतिमा रखें और गंगा जल/ साफ जल से स्नान कराएँ (अग्रिम तैयार)।
  2. घी का दीप जलाएँ और धूप/अगरबत्ती लगाएँ।
  3. कात्यायनी को लाल वस्त्र ओढ़ाएँ और लाल फूल अर्पित करें।
  4. कुमकुम, अक्षत और केसर अर्पित करें।
  5. मानसिक रूप से अपने मनोकामना/जिस समस्या के लिए आप प्रार्थना कर रहे हैं, उसे स्पष्ट रूप में ध्यान में लाएँ।
  6. नीचे दिए मंत्र का जप करें और 3, 11 या 108 बार पाठ करने का प्रयास करें।
  7. अंत में आरती करें और प्रसाद चढ़ाकर वितरण करें।

प्रमुख मंत्र

संक्षिप्त मंत्र (रोज़ाना):

ॐ कात्यायन्यै नमः

लंबा मंत्र (पूजा के समय):

ॐ कात्यायनायै विद्महे, कुष्माण्डायै धीमहि, तन्नो कात्यायनी प्रचोदयात्।

इन मंत्रों का उच्चारण ध्यान व श्रद्धा के साथ करें। मंत्र-जप का उद्देश्य मन को एकाग्र करना और देवी के रूप से जुड़ना है — संख्या धार्मिक परंपरा के अनुरूप रखें।

भोग और व्रत सुझाव (स्वास्थ्य-केंद्रित)

परंपरागत रूप से छठे दिन लाल रंग के खाद्य और मधुर प्रसाद दिये जाते हैं — जैसे केसरिया खीर, गुड़ वाले लड्डू, सूखे मेवे। केले का प्रयोग भी कुछ पारंपरिक रीति-रिवाजों में होता है।

स्वास्थ्य संबंधी सुझाव:

  • यदि आप व्रत रखते हैं तो सुनिश्चित करें कि दिनभर में पर्याप्त पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स मिलते रहें।
  • डायबिटीज़ वाले व्यक्ति मिठाई के स्थान पर फलों का हल्का प्रसाद या शहद-सौंठ वाला विकल्प चुन सकते हैं।
  • हाइपरटेंशन वाले लोग नमक पर नियंत्रण रखें; घी/तेल का संतुलित प्रयोग करें और डॉक्टर से सलाह लें।
  • व्रत के समय प्रोटीन स्रोत (दही, मूंग दाल का हल्का व्यंजन) शामिल करें ताकि ऊर्जा बनी रहे।

स्कंदमाता/कात्यायनी पूजा से मिलने वाले लाभ (मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक)

माँ कात्यायनी की आराधना सिर्फ आध्यात्मिक लाभ नहीं देती — यह हमारे मानसिक मॉडल और प्रतिक्रिया पैटर्न में बदलाव लाने में मदद करती है।

  • साहस और निर्णयक्षमता: जीवन के कठिन निर्णयों में आत्मविश्वास आता है और हम डर से लड़कर आगे बढ़ते हैं।
  • आत्मिक दृढ़ता: निराशा के समय में भी अडिग रहने की शक्ति मिलती है।
  • सक्रिय ऊर्जा: आलस्य और झिझक कम होती है और कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।
  • भीतर से तनाव नियंत्रण: नियमित ध्यान व मंत्र-जप से मानसिक तनाव घटता है और मन शांत होता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण: व्रत, ध्यान और मंत्र-जप के प्रभाव

नवरात्रि व्रत और पूजा को आधुनिक विज्ञान भी कई मायनों में सार्थक मानता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के कुछ लाभों में पाचन में सुधार, इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार और सूजन घटना शामिल हैं। साथ ही, ध्यान व मंत्र-जप से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर घटता है और न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन व डोपामाइन का संतुलन बेहतर होता है।

एक नियमित आध्यात्मिक अभ्यास — भले ही वह सिर्फ 10-15 मिनट का ध्यान हो — मस्तिष्क की प्रीतिकात्मक (reward) प्रणाली को स्थिर कर सकता है और कठिन समय में मानसिक लचीलापन (resilience) बढ़ा सकता है।

कात्यायनी का आज के जीवन से अर्थ — प्रैक्टिकल सबक

कात्यायनी हमें बताती हैं कि मातृत्व की कोमलता व दया के साथ कठोर निर्णय लेने की शक्ति भी जरूरी है। चाहे कार्यस्थल की चुनौती हो या निजी जीवन की जटिल स्थिति — कात्यायनी स्वरूप हमें संतुलित साहस और स्पष्ट निर्णय देता है।

छठे दिन का संदेश सरल है: “डर को पहचानो, पर उससे भागो नहीं।” छोटी-छोटी चुनौतियों का सामना करना सीखें क्योंकि यही अनुभव बड़े संघर्षों के लिए तैयारी बनाते हैं।

पूजा के बाद के उपाय (नैतिक और व्यवहारिक)

  • आरती के बाद कुछ समय ध्यान लगाएँ और अपने लक्ष्य/समस्याओं को स्पष्ट रूप में सोचें।
  • दिनभर में करने योग्य तीन छोटे कदम निर्धारित करें जो आपके आज के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करें।
  • कात्यायनी की कृपा का स्मरण रखते हुए साहसिक परन्तु विचारशील निर्णय लें।

FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. नवरात्रि छठा दिन कब है (2025)?

27 सितंबर 2025 को छठे दिन की पूजा की जाएगी।

2. इस दिन का शुभ रंग क्या है?

छठे दिन का पारंपरिक शुभ रंग लाल/गहरा लाल माना जाता है।

3. कात्यायनी की कौन-सी आरती पढ़ें?

आप 'जय कात्यायनी माता' आरती या लोकल गाइडेड आरती का उपयोग कर सकते हैं। सरल आरती और भजन जो देवी के गुण गाएँ, वे भी पर्याप्त हैं।

4. ऑफिस जाने वालों के लिए क्या सरल तरीका है?

सुबह 3-5 मिनट तक दीप-प्रणाम और संकल्प के साथ मंत्र 'ॐ कात्यायन्यै नमः' का 3-7 बार जाप करें। दिन में छोटे ब्रेक में गहरी सांस लें और शाम को आरती करें।

5. व्रत में किन-किन सावधानियों की ज़रूरत है?

यदि आप किसी दवा पर हैं, गर्भवती हैं या आपकी कोई स्वास्थ्य समस्या है तो व्रत पहले डॉक्टर से चर्चा के बाद रखें। पानी-तत्वों का ध्यान रखें और अत्यधिक लंबे उपवास से बचें।

🔚 प्रेरक संदेश

माँ कात्यायनी हमे सिखाती हैं कि कोमलता के साथ-साथ दृढ़ निश्चय भी जरूरी है। डर के आगे कदम बढ़ाइए — क्योंकि माँ की शक्ति आपके साथ है।

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