HealthyRaho Logo

🌼 नवरात्रि चौथा दिन – माँ कूष्मांडा (कुश्मांडा) की पूजा विधि, कथा और चमत्कारी लाभ

23 सितंबर 20254 min read
नवरात्रि चौथा दिन – माँ कूष्मांडा की पूजा

क्या आपने कभी सोचा है कि मुस्कान की ताकत क्या होती है? नवरात्रि का चौथा दिन हमें यही सिखाता है। कहते हैं कि माँ कूष्मांडा की मुस्कान से ही ब्रह्मांड की सृष्टि हुई। वह हमें याद दिलाती हैं कि जीवन की सबसे अंधेरी घड़ी में भी एक छोटी सी सकारात्मकता नई शुरुआत की राह खोल सकती है।

📝 इस लेख में आप जानेंगे:

  • माँ कूष्मांडा का अर्थ, नाम और प्रतीकात्मक महत्व।
  • उनकी पौराणिक कथा और गूढ़ संदेश।
  • सरल पूजा विधि, सामग्री, मंत्र और आरती।
  • भोग और व्रत सुझाव — पारंपरिक और स्वस्थ विकल्प।
  • कूष्मांडा की आराधना से मिलने वाले मानसिक और आध्यात्मिक लाभ।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत के फायदे और सावधानियाँ।
  • FAQs — चौथे दिन से जुड़े सामान्य प्रश्न।

माँ कूष्मांडा कौन हैं?

कूष्मांडा नाम तीन संस्कृत शब्दों से बना है — कु (छोटा), उष्मा (ऊष्मा/ऊर्जा) और अंड (ब्रह्मांडीय अंडा)। उनका अर्थ है — वह शक्ति जिसकी ऊर्जा से ब्रह्मांड की सृष्टि हुई। उनका रूप हमें प्रेरित करता है कि हम अपने जीवन में अंधकार मिटाकर प्रकाश और सकारात्मकता फैलाएँ।

पौराणिक कथा (संक्षेप)

कथाओं के अनुसार जब सृष्टि पूरी तरह अंधकार में थी, तब आदिशक्ति ने कूष्मांडा रूप धारण किया। उनकी मुस्कान से ही ब्रह्मांड की रचना हुई। वह अष्टभुजा स्वरूप में सिंह पर सवार होती हैं और उनके हाथों में विभिन्न शस्त्र और अमृत-पात्र होते हैं — जो जीवन की रक्षा और शक्ति का प्रतीक हैं।

नवरात्रि चौथा दिन — शुभ रंग

इस दिन का शुभ रंग पीला है — यह ऊर्जा, प्रकाश और आशा का प्रतीक है। यदि संभव हो तो पीले वस्त्र पहनें, पीले फूल चढ़ाएँ और भोग में पीले या हल्के मीठे व्यंजन शामिल करें।

माँ कूष्मांडा की पूजा विधि

सुबह की तैयारी: स्नान के बाद पीले/केसरिया वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को साफ करके पीला कपड़ा बिछाएँ।

  • माँ कूष्मांडा की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।
  • घी का दीप जलाएँ और धूप/अगरबत्ती लगाएँ।
  • पीले फूल, हल्दी-कुमकुम और अक्षत अर्पित करें।
  • भोग में कद्दू/कुश्मांडा व्यंजन, गुड़, मिश्री, दूध और फल अर्पित करें।
  • नीचे दिए गए मंत्र का जप करें और अंत में आरती करें।

🔑 प्रमुख मंत्र

ॐ कूं कूष्माण्डायै नमः

मंत्र का जाप 108 बार करना उत्तम माना जाता है, परंतु समयाभाव में कम बार भी कर सकते हैं।

भोग और व्रत परंपरा

इस दिन कद्दू से बने व्यंजन विशेष प्रिय माने जाते हैं — जैसे कद्दू का हलवा। फलाहार में साबूदाना, कुट्टू/सिंघाड़े के पकवान और दूध-आधारित प्रसाद उत्तम विकल्प हैं। डायबिटीज़ या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं में हल्का, चिकित्सक-परामर्शित फलाहार अपनाएँ।

कूष्मांडा आराधना के लाभ

  • ऊर्जा और स्फूर्ति: मानसिक और शारीरिक थकान कम होती है।
  • सकारात्मकता और रचनात्मकता: जीवन में नई शुरुआत और उत्साह आता है।
  • मानसिक संतुलन: तनाव और भय कम होते हैं, मन शांत होता है।
  • आत्मिक बल: कठिन निर्णय लेने का साहस बढ़ता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से व्रत के फायदे

नवरात्रि का व्रत इंटरमिटेंट फास्टिंग जैसा प्रभाव दे सकता है — जो पाचन सुधार, सूजन कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद कर सकता है। परंतु लम्बे उपवास या स्वास्थ्य समस्याओं में डॉक्टर से सलाह ज़रूरी है।

जीवन में माँ का संदेश

माँ कूष्मांडा सिखाती हैं — छोटी-सी मुस्कान से भी बड़ी दुनिया बदल सकती है। अपने जीवन में छोटी शुरुआत करें, धीरे-धीरे बड़ा परिवर्तन अपने आप आएगा।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. नवरात्रि चौथा दिन कब है (2025)?

25 सितंबर 2025 को चौथे दिन की पूजा की जाएगी।

2. इस दिन का शुभ रंग क्या है?

पीला या हल्का पीला रंग शुभ माना जाता है।

3. कौन सा भोग चढ़ाएँ?

कद्दू के व्यंजन, गुड़, मिश्री, दूध और मौसमी फल अर्पित करें।

4. ऑफिस जाने वालों के लिए क्या करें?

सुबह 5 मिनट में दीप, फूल और छोटा मंत्र जाप करें और शाम को आरती करें।

🔚 प्रेरक संदेश

माँ कूष्मांडा की मुस्कान हमें सिखाती है — रोशनी फैलाना ही जीवन का उद्देश्य है। अपने भीतर के डर को छोड़कर नई शुरुआत करें।

अगर यह लेख आपको पसंद आया हो तो HealthyRaho.in के अन्य नवरात्रि लेख (Day 1–3) भी पढ़ें और इस ज्ञान को अपने प्रियजनों के साथ साझा करें।

ज़रूर पढ़ें

शेयर करें:
नवरात्रि 2025 चौथा दिन: माँ कूष्मांडा पूजा विधि, कथा, मंत्र और लाभ